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जीवन के सुर

जीवन के सुर
जीवन के सुर


जिस प्रकार संगीत के सात सुर होते है ,उसी तरह हमारे शरीर को भी भगवान ने सात सुरों से सजाया है .जिस तरह से संगीत के सुर आपस में मिलकर एक अच्छे संगीत की रचना करते है ,उसी तरह हमारे शरीर के सुर भी आपस में मिलकर हमारे शरीर की स्वस्थ रचना करने में अहम भूमिका निभाते है | इनमे से अगर कोई भी सुर अक्छी तरह से काम नहीं करता तब हमारे शरीर का संगीत बेरंग हो जाता है.

       



                  1-सा -पिट्यूटरी ग्रंथि .



                  2-रे -थाइरोइड ग्रंथी .



                  3-गा-पैरा-थाइरोइड ग्रंथि .


                  4-मा-एड्रिनल ग्रंथि .


                  5-प् -अग्नाशयिक ग्रंथि .


                  6-द-पिनियल ग्रंथि.


                  7-नि-थाइमस ग्रंथि.


                  8.-सा-जनन ग्रन्थियां


अन्तःस्रावी तन्त्र क्या है?



अन्तःस्रावी तन्त्र को शरीर का एक प्रमुख तन्त्र माना जाता है। यह तन्त्रिका-तन्त्र (Nervous system) के साथ मिलकर शरीर की विभिन्न क्रियाओं का नियमन करता है।



अन्तःस्रावी तन्त्र ऊतकों या अंगों से मिलकर बनता है। ये ग्रन्थियां विशेष प्रकार के रसायन (Chemical) (इस रसायन को हॉर्मोन्स (Hormones) कहते हैं) का एक्सट्रासेल्यूसर स्थानों में स्राव करती हैं, जहाँ से ये सीधे हमारी रक्तधारा (Blood system) में पहुंच जाते हैं और पूरे शरीर में रक्त के साथ परिसंचारित होते हुए उस जरूरी अंग (Target organs) में पहुंचते हैं जिस पर उनकी क्रिया जरूरी होती है। इस प्रकार की ग्रन्थियों में वाहिकाएं या नलियाँ नहीं पाई जाती हैं, इसलिए इन्हें वाहिकाविहीन ग्रन्थियां (Ductless glands) भी कहते हैं।





विभिन्न प्रकार की अन्तःस्रावी ग्रन्थियां


(Different types of Endocrine glands)

मानव शरीर में निम्न अन्तःस्रावी ग्रन्थियां होती हैं, जिनका एक-दूसरे से सीधा एनाटॉमिकल लिंक नहीं होता है-

1. पिट्यूटरी ग्रन्थि
2. थाइरॉयड ग्रन्थि
3. पैराथाइरॉयड ग्रन्थियाँ
4. एड्रीनल या सुप्रारीनल ग्रन्थियाँ
5. अग्न्याशयिक द्वीपिकाएँ या लैंगरहैन्स की द्वीपिकाएँ
6. पीनियल ग्रन्थि या बॉडी
7. थाइमस ग्रन्थि
8. जनन ग्रन्थियां


पिट्यूटरी (पीयूष) ग्रन्थि को हाइपोफाइसिस (Hypophysis) नाम से भी जाना जाता है। यह खोपड़ी के आधार (base) की स्फीनॉइड हड्डी के सेला टर्शिका (sella turcica) या हाइपोफाइसियल फोसा में हाइपोथैलेमस के नीचे स्थित एक छोटी-सी (मटर के दाने के बराबर) भूरे रंग की ग्रन्थि होती है। यह मस्तिष्क के तल भाग पर ऑप्टिक चियाज्मा से न्यूरल स्टाक द्वारा जुडी़ रहती है। 



यह एक बहुत ही खास अन्तःस्रावी ग्रन्थि मानी जाती है। इससे पैदा होने वाले हॉर्मोन अन्य अन्तःस्रावी ग्रन्थियों की सक्रियता को उत्तेजित करते हैं।


यह ग्रन्थि दो खण्डों में बंटी रहती है-अग्रखण्ड (anterior lobe) या एडीनोहा इपोफाइसिस (Adenohypophysis) तथा पश्च खण्ड (posterior lobe) या न्यूरोहाइपोफाइसिस (Neurohypophysis)। इन दोनों खण्डों (lobes) के मध्य में एक बारीक सा स्थान रहता है जिसे ‘मध्यांश’ (Pars intermedia) कहते हैं। मनुष्यों में यह क्या करता है इसके बारे में किसी को ज्ञात नहीं है। अग्रखण्ड अपने वास्तविक अर्थ में अन्तःस्रावी ग्रन्थि है, जबकि पश्च खण्ड मस्तिष्क से सम्बन्धित रहता है और तन्त्रिका ऊतक (nervous tissue) का बना होता है। यह प्रत्यक्ष रूप से हाइपोथैलेमस से जुड़ा रहता है। इन्हें सामान्यतया अग्र एवं पश्च पिट्यूटरी ग्रन्थियां कहा जाता है।

अग्र पिट्यूटरी (Anterior pituitary) या एडीनोहाइपोफिसिस (Adenohypophysis)- पिट्यूटरी ग्रंथि के अग्रखण्ड को अन्तःस्रावी तन्त्र की ‘मास्टर ग्रन्थि’ (Master gland) के रूप में माना जाता है क्योंकि अन्य ग्रन्थियों के कार्य को नियन्त्रित करने में यह महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

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