> सूर्य उत्तरायण पर्व मकर सक्रांति का मुहूर्त व पूजन विधी

सूर्य उत्तरायण पर्व मकर सक्रांति का मुहूर्त व पूजन विधी

सूर्य उत्तरायण पर्व मकर सक्रांति का मुहूर्त व पूजन विधी



































































































सूर्य उत्तरायण पर्व मकर सक्रांति का मुहूर्त व पूजन विधी
सूर्य उत्तरायण पर्व मकर सक्रांति का मुहूर्त व पूजन विधी 
मकर संक्रांति में मकर शब्द मकर राशि को इंगित करता है जबकि 'संक्रांति' का अर्थ संक्रमण अर्थात प्रवेश करना है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। एक राशि को छोड़कर दूसरी राशि में प्रवेश करने की इस विस्थापन क्रिया को मकर संक्रांति कहा जाता हैं। 

मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने की घटना को संक्रांति कहते हैं। मकर संक्रांति में 'मकर' शब्द मकर राशि का ही प्रतीक है जबकि 'संक्रांति' का अर्थ संक्रमण करना है|। सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता हैं, इसलिए इस दिन को 'मकर संक्रांति' कहा जाता है। मकर संक्रांति' पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायण भी कहा जाता है। इस दिन गंगा स्नान कर व्रत, कथा, दान और भगवान सूर्य देव की उपासना व आराधना करने का विशेष महत्व है। 

शास्त्रों के अनुसार, दक्षिणायन को नकारात्मकता तथा उत्तरायण को सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक कर्मों का विशेष महत्व है। इस दिन शुद्ध घी एवं कंबल दान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

साल 2020 में सूर्य 14 जनवरी की शाम को मकर राशि में प्रवेश कर रहा है। चूंकि संक्रांति का पुण्य स्नान सूर्योदय पर किया जाता है, इसलिए इस बार संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी। 14 जनवरी को संक्रांति 'गर्दभ' पर सवार होकर आ रही है। संक्रांति का उपवाहन मेष है। संक्रांति गर्दभ पर सवार होकर गुलाबी वस्त्र धारण करके मिठाईयो का भक्षण करते हुए दक्षिण दिशा से पश्चिम दिशा की ओर जाएगी।

कब है मकर संक्रांति

शास्त्रों के अनुसार सूर्य की मकर संक्रांति 14 जनवरी को देर रात 2 बजकर 08 मिनट पर शुरू होगा और अगले 30 दिन यानि 15 फरवरी दोपहर 2 बजकर 04 मिनट तक रहेगा। जिसके कारण मकर संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी 2020 को है।

सूर्य उत्तरायण पर्व मकर सक्रांति का मुहूर्त व पूजन विधी
मकर संक्रांति का पुण्य काल


15 जनवरी
संक्रांति काल - 07:19  बजे (15 जनवरी 2020)
पुण्यकाल - 07:19 से 12:31 बजे तक
महापुण्य काल - 07:19 से 09:03 बजे तक
संक्रांति स्नान - प्रात:काल, 15 जनवरी 2020

मकर संक्रांति का महत्व

मकर संक्रांति को तो कहा जाता है कि मकर संक्रांति पर गंगा स्नान करने पर सभी कष्टों का निवारण हो जाता है । इसलिये इस दिन दान जप तप का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन को दिया गया दान विशेष फल देने वाला होता है । इस दिन व्यक्ति को किसी गृहस्थ ब्राह्मण को भोजन या भोजन सामग्रियों से युक्त तीन पात्र देने चाहिए। इसके साथ ही संभव हो तो यम, रुद्र और धर्म के नाम पर गाय का दान करना चाहिए। यदि किसी के बस में ये सब दान करना नहीं है, तो वह केवल फल का दान करें, लेकिन कुछ न कुछ दान जरूर करें। 

मकर संक्रांति होने का कारण
वर्ष में कुल बारह संक्रांतियां होती हैं, जिनमें से सूर्य की मकर संक्रांति और कर्क संक्रांति बेहद खास हैं | इन दोनों ही संक्रांति पर सूर्य की गति में बदलाव होता है। जब सूर्य की कर्क संक्रांति होती है, तो सूर्य उत्तरायण से दक्षिणायन और जब सूर्य की मकर संक्रांति होती है, तो सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होता है। सीधे शब्दों में कहें तो सूर्य के उत्तरायण होने का उत्सव ही मकर संक्रांति कहलाता है। इसलिए कहीं- कहीं पर मकर संक्रान्ति को उत्तरायणी भी कहते हैं। उत्तरायण काल में दिन बड़े हो जाते हैं तथा रातें छोटी होने लगती हैं, वहीं दक्षिणायन काल में ठीक इसके विपरीत- रातें बड़ी और दिन छोटा होने लगता है।

मकर संक्रांति पर करें किस चीज का दान करे 

मकर संक्रांति के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान देना बेहद पुण्यकारी माना जाता है। इस दिन खिचड़ी का दान देना विशेष फलदायी माना गया है। इस दिन से सभी शुभ कार्यों पर लगा प्रतिबंध भी समाप्त हो जाता है। बता दें, उत्तर प्रदेश में इस पर्व पर खिचड़ी सेवन और खिचड़ी दान का अत्यधिक महत्व बताया जाता है।
तिल-गुड़ के लड्डू और प्रसाद
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तिल-गुड़ के लड्डू और प्रसाद

सर्दी के मौसम में वातावरण का तापमान बहुत कम हो जाता है। जिसकी वजह से शरीर को कई तरह के रोग घेरने लगते हैं। ऐसे में इस दिन गुड़ और तिल से बनी चीजें खाई और आपस में बांटी जाती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि तिल और गुड शरीर में गर्मी पैदा करने के साथ कई पोषक तत्व भी शरीर को प्रदान करते हैं। उत्तर भारत के लोग इस दिन खिचड़ी का प्रसाद बनाते है। खिचड़ी के प्रसाद के साथ - साथ इस दिन गुड़-तिल, रेवड़ी, गजक का प्रसाद भी दोस्तों के बीच बांटा जाता है।

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