पुरुषों में वीर्य की कमी
SEXUAL DEBILITY in Male
शारीरिक और मानसिक तनाव के असंतुलन की स्थिति में शरीर के अन्दर वीर्य नहीं बन पाता या ठहर नहीं पाता और इस कारण शरीर तेजहीन, उदास और निष्काम हो जाता है। ऐसी स्थिति में वीर्य बन भी जाता है तो पतला या बिना शुक्र के ही बन पाता है जिसे हम वीर्य की कमी कहते हैं।
पुरुषों में वीर्य की कमी के कारण Cause of Sexual Debility in Male
वीर्य की कमी के कई कारण होते है। जैसे
हस्तमैथुन
अधिक सहवास
खान-पान में सही देखभाल न करना
स्वप्नदोष
शारिरिक कमजोरी
मानसिक कमजोरी
चिन्ता करना आदि।
पुरुषों में वीर्य की कमी के लक्षण Symptoms of Sexual Debility in Male
हमेशा उदास सा रहना
किसी काम में मन का न लगना
सुस्ती
कमजोरी
अपंगता और मानसिक कमजोरी आदि के लक्षण वीर्य की कमी में देखे गये हैं।
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पुरुषों में वीर्य की कमी में परहेज़ Prevention During Sexual Debility
गर्म मिर्च मसालेदार पदार्थ
मांस,अण्डे आदि
हस्तमैथुन करना
अश्लील पुस्तकों और चलचित्रों को देखना
बीड़ी-सिगरेट
चरस, अफीम
चाय व शराब
ज्यादा सोना आदि बन्द करें।
पुरुषों में वीर्य की कमी की चिकित्सा Treatment of Sexual Debility in Male
चोब चीनी को दूध में उबालकर 3 से 6 ग्राम को मस्तगी, इलायची और दालचीनी के साथ सुबह-शाम खाने से धातु (वीर्य) की कमी दूर होती है।
गुरुच का चूर्ण आधे से एक ग्राम सुबह-शाम शहद के साथ खाने से लाभ होता है।
बेल की जड़ की छाल को जीरे के साथ पीसकर घी में मिलाकर सुबह-शाम पीने से वीर्य का पतलापन दूर होता है।
गुंजा की जड़ 2 ग्राम को दूध में पकाकर रोज रात को खाना खाने से पहले खाने से वीर्य के सभी रोग खत्म हो जाते हैं।
शतावरी का चूर्ण 10 ग्राम से 20 ग्राम चीनी और दूध के साथ पेय बना कर सुबह-शाम सेवन करने से धातु (वीर्य) का पतलापन मिट जाता है।
मखाना की खीर बनाकर बराबर रूप से खाने से वीर्य की कमी दूर होती है।
मुनक्का खाने से धातु में वृद्धि होती है।
छुहारा बराबर रूप से दूध में उबालकर खाने से वीर्य बढ़ता है
प्याज और अदरख का रस बराबर भाग में लेकर रोज सुबह-शाम शहद के साथ खाने से खोयी हुई जवानी लौट आती है।
हत्था जोडी के पंचांग (जड़, तना, फल, फूल, पत्ती) के मिश्रण 40 ग्राम से 80 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम खाने से वीर्य की कमी और वीर्य की कमजोरी दूर होती है।
उड़द की दाल को पीसकर नमक, कालीमिर्च, जीरा, हींग, लहसुन अदरक आदि को डालकर घी में तलकर दही में मिलाकर खाने से वीर्य बढ़ता है।
शिलाजीत थोड़ी मात्रा में गाय के दूध में घोल कर रोज सुबह-शाम 2-3 महीने तक खाने से धातु (वीर्य) की कमजोरी और अन्य बीमारी दूर हो जाती है।
दालचीनी के तेल में 3 गुना जैतून का तेल मिलाकर शिश्न पर लगाने से मर्दानगी लौट आती है। ध्यान रहे इस पर ठंड़ा पानी न पड़े।दालचीनी का चूर्ण कर एक चम्मच की मात्रा में खाना खाने के बाद रोज 2 बार दूध के साथ लेने से लाभ होता है।
रोजाना एक बड़े आंवले के मुरब्बे को खाने से मर्दाना ताकत आती है।
खजूर रोज गर्म दूध के साथ खाने से कुछ ही दिनों में वीर्य बढ़ जाता है।
केसर को दूध में कुछ दिनों तक डालकर खाने से शीघ्रपतन दूर हो जाता है।
अनार के छिलके का रस शहद के साथ रोज सुबह-शाम लेने से स्वप्नदोष दूर हो जाता है।
सिघाडे़ के आटे मे बबूल का गोंद, देशी घी और मिश्री मिलाकर लगभग 30 ग्राम मात्रा में गर्म दूध के साथ लेने से धातु (वीर्य) की कमी दूर होती है।
कालीमिर्च और बादाम की गिरी बराबर भाग में लेकर थोड़ा-सा सोंठ मिलाकर चूर्ण कर लें। भोजन के बाद गर्म दूध के साथ खाने से यह रोग दूर हो जाता है।
तुलसी के बीजों को पीसकर पानी के साथ या बीजों को गुड़ के साथ कुछ दिनों तक लेने से धातु (वीर्य) की कमी दूर होती है। तुलसी के बीजों का चूर्ण 2 ग्राम की मात्रा में लेकर पुराने गुड़ के साथ बराबर मात्रा में खाने के बाद एक कप दूध सुबह-शाम नियमित रूप से कुछ महीनों तक लेने से सेक्स सम्बन्धी सभी समस्याएं दूर हो जाती है। 3 ग्राम तुलसी के बीज या जड़ का चूर्ण बराबर की मात्रा में पुराने गुड़ में दूध के साथ सेवन करने से पुरुषत्व की वृद्धि होती है। इससे पतला वीर्य गाढ़ा होता है तथा वीर्य की वृद्धि होती है।तुलसी के बीज 60 ग्राम और मिश्री 75 ग्राम लें। इन दोनों को पीसकर सुरक्षित रख लेते है। इसमें प्रतिदिन 3 ग्राम चूर्ण गाय के दूध से सेवन करना चाहिए।
कसेरू के छिलके को हटाकर रस निकालें और दूध, मिश्री के साथ रोज पीने से वीर्य की वृद्धि होती है।
सोंठ को गर्म पानी में उबालकर काढ़ा बना लें। उसमें थोड़ी हल्दी और गुड़ को डालकर पीने से धातु (वीर्य) की कमजोरी दूर होती है।
लाजवन्ती के बीजों का चूर्ण कर के दूध के साथ खाने से लाभ होता है।
धनिया का चूर्ण बनाकर ईसबगोल की भूसी और मिश्री मिलाकर गर्म दूध के साथ खाने से स्वप्नदोष, कब्जियत और शीघ्रपतन दूर होता है।
सफेद मूसली और शक्कर बराबर मिलाकर चूर्ण कर लें और रोज सवेरे गाय के दूध के साथ खाने से लाभ मिलता है।
गाजर का रस शहद के साथ लेने से वीर्य गाढ़ा होता है और नपुंसकता (नामर्दी) दूर होती है।
रोज रात में 1-2 कली लहसुन जरूर खायें या लहसुन का रस शहद के साथ खायें इससे धातु (वीर्य) की कमजोरी, शीघ्रपतन और नपुंसकता दूर होती है।
बबूल का पत्ता चबाकर गाय का दूध पीने से कुछ की दिनों में गर्मी के रोग में लाभ होता है।बबूल के कच्ची फलियों के रस को दूध और मिश्री में मिलाकर खाने से लाभ होता है।
एक चम्मच गेंदे के बीजों और इतनी ही मात्रा में मिश्री को मिलाकर एक कप दूध के साथ सुबह-शाम नियमित सेवन करने से वीर्य स्तम्भन की शक्ति बढ़ती है।
गुड़ को आंवलों के 2-4 ग्राम चूर्ण के साथ सेवन करने से वीर्यवृद्धि, श्रमनाश, तृप्ति, रक्तपित्त, दाह, शूल और मूत्रकृच्छ आदि रोग नष्ट होता है।
इमली को पानी में कुछ दिन भिगोकर छिलका उतार दें। छिलके निकले बीजों को सुखाकर बारीक पीस लें। एक चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार दूध के साथ सेवन करने से वीर्य का पतलापन दूर होता है। इमली के बीजों को भूनकर छिलका उतारकर चूर्ण बनाकर, बराबर की मात्रा में मिश्री मिलाकर 15 दिनों तक रोजाना सेवन करने से वीर्य का पतलापन, मूत्रकृच्छ तथा मूत्रदाह (पेशाब में जलन) दूर होती है।
सफेद पेठे की मिठाई और सब्जी खाने से वीर्य बढ़ता है। इसके अलावा यह औरतों के श्वेतप्रदर को बन्द करता है और मोटापे को भी कम करता है।
वीर्य दोष में 15 ब्राह्मी के पत्तों को दिन में 3 बार सेवन कर सकते हैं ।
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