भोजन को पौष्टिक बनाने के गुर (How to make tasty food at home )
फल फ्रूट |
जीवन और स्वास्थ्य में भोजन का महत्व तो सभी जानते है । भोजन न केवल देह को स्वस्थ रखने में मददगार है बल्कि रोगों को दूर करने की सामर्थ्य भी रखता है । हमारे स्वस्थ जीवन में भोजन का कितना महत्व है , यह इसी बात से जाना जा सकता है कि यदि व्यक्ति उचित - अनुचित का ध्यान रखते हुए योग्य आहार का सेवन करता रहे तो उसे कभी भी इलाज के लिए डॉक्टर के यहां नही जाना पड़े ।
वैसे ज्यादातर इस बात को नही जानते कि अपने आहार को किस प्रकार ' योग्य आहार ' का रूप दिया जा सकता है ।
गुणकारी है , चोकर
जिस प्रकार दूध में मलाई का महत्व है , ठीक उसी प्रकार आटे में चोकर की अहमियत हैं । लेकिन नाजानकारी में आटे को छानकर उसका चोकर अलग कर दिया जाता हैं । हमें इस बात को समझना चाहिए कि पोषक तत्व चोकर के रूप मे अनाज की ऊपरी सतह पर रहते है । दरअसल प्रकृति ने अनाज के छिलके और चावल के ' कण ' में पोषक तत्त्व विटामिनो को सुरक्षित रखा है । सम्भवतः आपको यह जानकारी न हो कि बी कॉम्प्लेक्स की गोली का अविष्कार ' चावल के कण ' से किया गया है । इसलिए आटे से चोकर और चावल से कण को अलग कर देने से हमे पर्याप्त पोषक तत्व मिल ही नहीं पाते , नतीजतन शरीर मे पोषक तत्वों की कमी हो जाती हैं ।
चोकर युक्त चपाती |
चोकर प्रयोग विधि
- आटे से कभी चोकर निकलना ही नही चाहिये , और यदि किन्ही वजहों से निकालना ही पड़े , तब अलग किये चोकर का निम्न प्रकार से सेवन किया जा सकता है
- उबलती सब्जी में 50 ग्राम चोकर डालकर फिर उस सब्जी के सेवन से शरीर को पर्याप्त विटामिन मिल जाते है ।
- एक किलो आटे में 50 ग्राम चोकर मिलाकर फिर उस आटे की रोटी खाने से शरीर को पर्याप्त पोष्टिक तत्व मिल जाते है ।
- गाय के 5 ग्राम घी में चोकर भून लें । अब इस भुने हुए चोकर की 24 ग्राम मात्रा में पानी मे डालकर उबालें , इसे स्वादिष्ट बनाने के लिये इसमें किशमिश , छुहारा भी डाले और खाये ।
पोष्टिक दलिया
गेंहू का हमारे भोजन में विशेष महत्व है । इसका अधिकतर सेवन रोटी के रूप मे किया जाता हैं लेकिन सबसे आसान तरीका दलिया बनाकर खाना है । गेँहू के अधिकतर पोषक तत्त्व दलिया में भरे रहते है । यह पचने में भी हल्का होता हैं । शौच साफ लाता है । खांसी और दमा रोगियों के लिए इसे एक औषधि के रूप मे समझना चाहिए । दलिया के सेवन से खांसी , दमा रोगियों को विशेष लाभ होता हैं ।
एक दलीय सभी अनाजो का दलिया बनाया जा सकता हैं जैसे - गेँहू का दलिया , ज्वार का दलिया , मक्का का दलिया आदि ।।
गेंहू का दलिया
गेंहू को साफ करके पानी में धोकर सुखाकर दरदरा पीसकर पानी के साथ उबालकर दलिया बनाये । दरदरा पीसने का मतलब है , गेंहू के 4 - 5 टुकड़े ही हो , ज्यादा नहीं ।
गेंहू के दलिया के लाभ
गेंहू का दलिया खाने से दमा में लाभ होता हैं । महिलाओं में मासिक स्त्राव की कमी या अधिकता , गर्भपात या सन्तान न होने की स्थिति में इसका सेवन लाभ करता है । हार्ट की कमजोरी में दलिया में पालक मिलाकर सेवन करना चाहिए ।
- कमजोर बच्चों को सेहतमंद बनाने के लिए दलिया में बादाम तथा किशमिश मिलाकर खिलाये ।
- कैल्सियम की कमी होने की स्थिति में दलिया में 10 ग्राम कूटे हुए काले तिल एवम किशमिश मिलाकर खाने चाहिए ।
- आंतो की कमजोरी में दलिया को दही - मट्टा मिलाकर खाना चाहिए ।
जौ का दलिया
जौ को 24 घण्टे पानी मे भिगोयें रखे , बाद में उन्हें सुखाकर ओखली में कूटकर ऊपर की भूसी निकाल दे और शेष रहे जौ को दरदरा पीस ले , बाद में इसका दलिया पकाकर बनाकर खाये । जौ की तरह मक्का , ज्वार का भी दलिया बनाया जा सकता है ।
ध्यान रखें , दलिया को घी , तेल या वैसे ही भुनने से उसके पोषक तत्व कम हो जाते है । यदि भूनना ही हो तब थोड़ा सा घी डालकर भूने ।
जौ का दलिया मधुमेह , तपेदिक , हार्ट की कमजोरी तथा कमजोर बच्चो को बहुत गुणकारी है । मधुमेही मट्टा , दही , टमाटर के साथ इसका सेवन करें तो बहुत अच्छा होता हैं ।
दलिया के साथ उपयुक्त फल |
रोटी का सेवन
हमारे देश का मुख्य भोजन रोटी , चावल , दाल , सब्जी और फल है । यू तो रोटी बनाने की विधि सब जानते हैं , लेकिन प्रायः रोटी में अनाज के सारे गुण नही मिल पाते , इसकी वजह है , जानकारी न होना ।
हमे ध्यान रखना चाहिए कि रोटी जिस आटे से बनाई जाए वह अधिक महीन न हो , मोटा हो तथा उसमें चोकर मिली हुई हो । आटा 10 दिन से ज्यादा पुराना न हो ।
- रोटी बनाने के लिये आटा को 3 घण्टे पूर्व पर्याप्त पानी मे सानकर एक गीले कपड़े से ढककर रख दे , इससे आटे में हल्का सा खमीर ( खट्टापन ) उत्पन्न हो जाता है , उसमे काफी लोच आ जाता है तथा विटामिन ई का निर्माण हो जाता है । विटामिन ई कब्ज , श्वास , हार्ट और गर्भाशय विकारो के लिये बहुत गुणकारी होता है ।
- रोटी न अधिक पतली हो और न ही ज्यादा मोटी हो । पतली रोटी में तो पोषक तत्व जल जाते है जबकि अधिक मोटी रोटी ठीक से पक नही पाती , अतः पचने में भारी हो जाती है ।
- गेंहू के अलावा गेंहू - जौ - चना , ज्वार - बाजरा के मिश्रित अनाज तथा चना , बाजरा और मक्का में से किसी एक अनाज की रोटी बनाई जा सकती है ।
- किसी भी आटे में चौथाई भाग सोयाबीन या आटा मिला देने से तैयार होने वाली रोटी में प्रोटीन बढ़ जाता है । यह कमजोर लोगों तथा बच्चो के लिये विशेष हितकारी रहता हैं ।
चावल का सेवन
चावल को दुगुने पानी में डालकर 3 घण्टे पूर्व भिगो दें । अच्छा हो उसी बर्तन में भिगोये जिसमें उन्हें पकाना हो । अब धीमी आंच पर पानी सहित पकाये , पात्र को ढक दे ताकि भाप न निकले । इसलिए चावल को कुकर में पकाना ठीक रहता है । पकने के बाद उसमें घी - मख्खन डाले । अधिक स्वादिष्ट बनाने के लिए चावल में किशमिश , छुहारे , खजूर , केसर आदि मिलाये जा सकते है ।
ध्यान रखें , पूर्ण चावल को काम में लेना चाहिए । जिसकी केवल भूसी निकली गयी हो , उसे पूर्ण चावल कहते है । चावल को पकाते समय सफेद - सफेद पानी ऊपर आ जाता है , इसे ' चावल का माण्ड ' कहते हैं । इसे भी चावल के साथ सेवन करना चाहिए क्योकि इसमें विटामिन बी , कैल्शियम , लोहा , फासफोरस एवम क्षार तत्व होते हैं जो पोषन के लिए बहुत जरूरी हैं । एक बात और , उबालने से पहले चावल को रगड़कर नही धोना चाहिए , इससे चावल से पोषक तत्त्व निकल जाते है
दालो का सेवन
जिस अन्न को दलने , नुकोने से दो दल ( टुकड़े ) हो जाये , उन्हें ' दाल ' कहा जाता हैं । जैसे अरहर , चना , मूंग , उड़द , मसूर , मटर , सोयाबीन आदि । रोटी या चावल के साथ इसका सेवन किया जाता है । प्रोटीन , विटामिन बी ,लोहा , फास्फोरस दालों में खूब होते है । शरीर को बनाने तथा मांस बढ़ाने में प्रोटीन की खास अहमियत है । दालो की प्रोटीन , दूध की अपेक्षा भारी होने से श्रमायुक्त जीवन जीने वाले लोग ही दालो की प्रोटीन ठीक से पचा पाते है । शारिरिक श्रम करने वालो को नित्य 100 ग्राम तथा मानसिक श्रम करने वालो को 50 ग्राम से ज्यादा दाल का सेवन नही करना चाहिए । 40 साल की उम्र के बाद प्रोटीन की आवश्यकता कम हो जाती हैं ।
प्रायः छिलका रहित दालो का सेवन किया जाता है । लेकिन दालो के पोषक तत्व छिलको में अधिकता से होते हैं । अतः छिलका युक्त दाल ही सेवन करनी चाहिए ।
दालो से जुड़ी कुछ विशेष जानकारीया
- दाल अधिक पुरानी न हो । ताजी दालो का छिलका सहित सेवन करना विशेष लाभदायक है ।
- दाल बनाते समय उसमे अधिक पानी नही डालना चाहिए । गाढ़ी दाल का सेवन विशेष गुणकारी है ।
- दाल में नींबू , आम की खटाई , सूखी इमली डालकर खाने से वह जल्दी पचती है ।
- दाल पकाते समय उसमे लौकी , टमाटर , तोरई , टिंडा , गाजर मिला देने से उसके गुण बढ़ जाते है ।
सब्जियों का सेवन
सभी खाद्य पदार्थों में सब्जी सबसे कोमल होती है । जहाँ तक संभव हो ताजी सब्जी का प्रयोग करें ।
जिन सब्जियों के छिलके कड़े न हो , उन्हें छिलका सहित प्रयोग करें । तुरई , टिण्डा , परवल , शलजम , टमाटर , आलू , लौकी , करेला , काशीफल , गाजर आदि सब्जियों को छिलका सहित पकाना चाहिए । लेकिन जब छिलका खराब हो गया हो या कड़ा पड गया हो , तब छिलका अलग कर लेना चाहिए ।
- सभी तरह की सब्जियों को काटने से पहले धो लेना चाहिए । काटने के बाद धोने से उनके पोषक तत्व भी साफ होकर निकल जाते हैं ।
- काटने के बाद सब्जी को अधिक देर तक रखना नही चाहिये , बल्कि शीघ्र पका लेना चाहिए ताकि पोषक तत्व कम न हो सके ।
- अनेक सब्जियों को एक साथ मिलाकर बनाने से बनाने से अधिक स्वादयुक्त लगती हैं ।
पकाने की विधि
पात्र को आग पर रखकर थोड़ा पानी डाले , जब पानी खोलने लगे तब उसमें नमक , हल्दी , जीरा , काली मिर्च यथावश्यक मात्रा मे डाले । सब्जी डालकर ऊपर से ढक दे ।
- सब्जी धीमी आंच पर ही पकाये । भाप के साथ सब्जी के पोषक तत्व न निकल सके , इसके लिए सब्जी को पकाने वाले पात्र के ऊपर के ढक्कन पर पानी भर दे , इससे भाप नही निकल सकेगी और सब्जी गुणयुक्त बनेगी ।
- सब्जी पकाते समय यदि सब्जी में और पानी डालने की जरूरत हो तब पात्र के ऊपर रखा पानी ही डाले , ठंडा पानी न डालें ,ऐसा करने से सब्जी का स्वाद बदल जाता हैं और वह पचने में भारी हो जाती हैं । सब्जी उतनी ही पकाये जितनी से उसका कड़ापन दूर हो जाये ।
- सब्जी बनाते समय उसमे आवश्यकतानुसार निम्बू का रस , टमाटर , दही , कच्चा आम , इमली डालना चाहिए । खटाई से विटामिन सुरक्षित रहते है ।
- एक बार पकाई सब्जी को दोबारा गर्म करने पर वह हिनगुण वाली हो जाती हैं ।
सलाद और चटनी
भोजन में कच्ची सब्जी का सेवन करना हितकारी है । इसे सलाद या कजुम्बर कहते है । यदि कई प्रकार की सब्जियों को एक साथ मिलाकर बनाया जाए तो स्वादिष्ट भी होती हैं और पौष्टिक भी । क्योकि कच्ची सब्जी में खनिज लवण पूर्ण सुरक्षित रहते है ।सलाद में फलो को भी मिलाया जा सकता हैं ।
सलाद से जुड़ी कुछ विशेष बाते
- सलाद में नमक , हरा धनिया , अदरक और हरी मिर्च का प्रयोग रुचिनुसार किया जा सकता हैं ।
- निम्बू का रस सलाद में अवश्य डाले ।
- सलाद में दही का सेवन भी अच्छा है ।
चटनी
- चटनी भी भोजन का एक हिस्सा है । चटनी से भोजन में स्वाद बढ़ता है ।
- हरे धनिये की पत्ती 100 ग्राम , किशमिश 10 ग्राम , हरि मिर्च और अदरक स्वादानुसार । सबको पीसकर एक निम्बू का रस डालकर खाये ।
- पकी हुई इमली को 3 घन्टे तक पानी में भिगोये , फिर अच्छी तरह मसलकर छान लें । इसमे नमक , हरि मिर्च , काली मिर्च , धनिया पुदीना , अदरक , गुड़ आदि इच्छानुसार डालकर सेवन करें ।इस चटनी के सेवन से पेचिश में बहुत लाभ होता है ।
- हरे चने का साग 100 ग्राम , धनियां , पुदीना , अदरक 10 - 10 ग्राम , नमक स्वादानुसार सबको पीसकर स्वादिष्ट चटनी तैयार करे ।
- कच्चा आम 100 ग्राम , हरा पुदीना या हरा धनियां 10 ग्राम , अदरक 10 ग्राम , तथा नमक अदरक स्वादनुसार डालकर चटनी तैयार करे ।
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