> पुनरावर्तक ज्वरनाशक काढ़ा ( चरक संहिता )punaravartak jwaranashak kvath

पुनरावर्तक ज्वरनाशक काढ़ा ( चरक संहिता )punaravartak jwaranashak kvath

पुनरावर्तक ज्वरनाशक काढ़ा ( चरक संहिता )
Punravrtak Jwaranashak kadha in hindi


किरातततिक्तकं तिक्ता मुस्तं पर्पटोऽमृता । 
घ्नवन्ति पीतानिचाभ्यासात् पुनरावर्तकं ज्वरम् ।।

                                                                चरक चि.3/34
1 - किरातततिक्तम् - चिरायता
2 - तिक्ता - कुटकी
3 - मुस्तम् - नागरमोथा
4 - पर्पट - पित्तपापड़ा
5 - अमृता - गिलोय

  • उपरोक्त पांचो पदार्थों का क्वाथ विधि से क्वाथ तैयार कर नियमित रूप से पीते रहने से पुनरावर्तक ज्वर नष्ट होता हैं ।
punaravartak jwaranashak kvath
ज्वर नाशक क्वाथ


पुनरावर्तक ज्वरनाशक काढ़ा ( चरक संहिता )

चरक संहिता में वर्णित इस क्वाथ का प्रयोग बहुतायत किया जाता है और इसका परिणाम भी श्रेष्ठ रहा है । इसका उपयोग केवल पुनरावर्तक ज्वर में ही नही अपितु मलेरिया ज्वर की सभी अवस्थाओ में लाभप्रद है । यह क्वाथ केवल ज्वर नाशक ही नही अपितु पित्तशामक , यकृत क्रिया सुधारक , आंत्रगत विषाक्तता नाशक और अम्लपित्त निवारक भी है ।


पुनरावर्तक ज्वरनाशक क्वाथ की निर्माण विधि

  • सभी द्रव्य को 200 - 200 ग्राम लेकर कूट कर मिश्रित करके रख ले । 50 ग्राम औषधि को 500 मिली पानी मे रात में भिगों दे और सुबह धीमी आंच में पकाये । पकते - पकते जब 50 मिली पानी बचे तब उतार कर छानकर ठंडाकर पीए । ऐसे ही शाम के समय सेवनार्थ सुबह भिगोकर रखे और तैयार कर सेवन करें ।

  • निर्माण के संबंध में कुछ मनीषी यह संदेह व्यक्त कर सकते है कि आखिर इसमे 16 गुना पानी मे भिगोने और पकाकर चौथाई शेष रहने पर उतार कर छानकर सेवन कराने की बात का उल्लंघन क्यो किया गया ?  

  • दरअसल इस विधि से निर्मित किया गया क्वाथ ' सान्द्र ' नही तैयार होता । जबकि उपर्युक्त विधि से निर्मित क्वाथ ' सान्द्र ' होता है और ज्यादा प्रभावशाली होता हैं ।


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