पपीता के बीज के फायदे
( papaya seed ke fayde )
पपीता एक बहुपयोगी फल है । यह भारत के हर भाग में पाया जाता है उसी मात्रा में इसका सेवन भी किया जाता है । केले की तरह मात्र एक साल में ही इसके पेड़ से भी फल प्राप्त होने लगते हैं ।
यह वस्तुतः विदेशी फल है । इसे पुर्तगाली व्यापारी अपने साथ लाए और भारत भूमि पर इसे उगाना प्रारंभ किया । यह सोलहवीं शताब्दी की बात है । तब से पपीता इस देश मे नियमित रूप से उगाया और खाया जाता रहा है । वैसे इसका मूल जन्म स्थान दक्षिण अमेरिका माना गया है ।
1 - पहली जाति पर्वतीय पपीता है । यह पहाड़ी प्रदेशों में पाया जाता है । लगभग चार हजार से सात हजार की ऊंचाई पर ।
2 - दूसरी जाति का पपीता वह होता है , जिसके पेड़ लगभग पांच - छह फीट ऊंचे होते हैं । इनमे लगने वाले फलो की लंबाई एक से दो इंच के बराबर होती है ।
3 - तीसरी जाति के पपीते को ' केरिया पपाया ' कहते हैं । यह सामान्य रूप से पाई जाने वाली पपीते की जाति हैं । इसके पेड़ लगभग दस फीट ऊंचे होते है । इसमें लगने वाले फल लंबे और गोल होते हैं ।
पपीता एक सम्पूर्ण फलाहार है । पीले रंग के पके पपीते में उपस्थित केरोटीन की मात्रा , जो शरीर मे पहुँचकर विटामिन ' ए ' बनाती हैं , सभी फलो कि तुलना में पपीते में सबसे अधिक होती है । इसके अतिरिक्त इसमे विटामिन ' सी ' भी काफी परिणाम में होता है ।
वैज्ञानिक विश्लेषण करने पर पपीते में निम्न तत्व पाए गए
- कैल्शियम
- फॉस्फोरस
- खनिज लवण
- लोहा
- प्रोटीन
- कार्बोहाइड्रेट
- मैलिक
- टारटरिक
- साइट्रिक एसिड
राष्ट्रीय पोषण संस्थान में प्रयोगों के आधार पर बताया गया है कि इसका सबसे मूल्यवान उपसंहार ' पपेन ' है । यह महत्वपूर्ण तत्व पपीते के वृक्ष व फल के प्रत्येक भाग में पाया जाता है ।
- ' पपेन ' एक सशक्त प्रोटीन - पाचक पदार्थ है । पपीते के फल से निकलने वाले दूध में पाए जाने वाले ' पपेन ' की मात्रा लगभग बीस प्रतिशत तक होती है । इस ' पपेन ' को बहुविध उपयोग में लाया जाता है , जिसमे प्रमुख हैं -
- पपेन पानी मे मिलाकर कुल्ला करने से बढ़े हुए टॉन्सिल में बहुत लाभ मिलता है ।
- मांस पकाते समय यदि उसमे एक चुटकी ' पपेन 'डाल दिया जाय , तो मांस शीघ्र पकता है ।
- सूती , ऊनी एवं वस्टेड कपड़ो को सिकुड़ने से बचाने के लिए ' पपेन ' का उपयोग किया जाता हैं ।
- टूथपेस्ट एवं त्वचा के दाग मिटाने की दवा बनाने में भी ' पपेन ' का उपयोग होता हैं ।
भारतीय पपीता |
- पपीता दोनो रूपो में खाया जाता हैं । कच्चा व पका । कच्चे पपीते की सब्जी भी बनाई जाती हैं । पक्का पपीता बहुत स्वादिष्ट होता है । यह स्वाद में मीठा होता है .
पपीता के फायदे व नुकसान
- यह पाचन क्रिया ठीक करने में बहुत उपयोगी है
- बवासीर और कब्ज जैसे पुराने रोगों में पपीते का प्रयोग करने से आश्चर्यजनक लाभ होता हैं ।
- इसके साथ ही पेट के अन्य विकारों , यथा - मंदाग्नि , भूख न लगना तथा अजीर्ण जैसे रोगों में भी पपीते का सेवन लाभ पहुचाता हैं ।
- स्त्री के स्तन के दूध में रोग हो , तो पपीता उसे ठीक करता है ।
- अल्सर , तिल्ली आदि रोगों में भी इसका प्रयोग लाभकारी है ।
- चर्म रोगों की चिकित्सा भी पपीते के सहयोग से की जाती हैं ।
- डिप्थीरिया जैसे रोग में भी पपीते का सेवन फायदा पहुचाता है ।
- पीलिया के रोगी के लिये तो पपीते का सेवन रामबाण औषधि के रूप में काम करता है । ऐसे में कच्चा पपीता अधिक लाभप्रद है
- फाइलेरिया की सूजन एवं वातिक शूल में पपीते की पत्तियों की पुल्टिस बनाकर लगाने से काफी लाभ मिलता है ।
- पेट मे कृमि हो गए हो , तो पपीते के बीज पानी मे पीस लीजिए । इसे चौथाई कप पानी मे मिलाकर पीजिए नियमित सात दिन पीने से लाभ होता हैं ।
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