> योनि से होने वाला हर स्त्राव प्रदररोग ( ल्यूकोरिया ) नही

योनि से होने वाला हर स्त्राव प्रदररोग ( ल्यूकोरिया ) नही

योनि से होने वाला हर स्त्राव प्रदररोग ( ल्यूकोरिया ) नही 


यदि योनि स्त्राव ज्यादा मात्रा में होता है , तो इसको सदैव ल्यूकोरिया कहना गलत हैं । यदि स्त्राव से बदबू आती हैं , पीले रंग का है , रक्त आता हैं , झाग बनता हैं , स्त्राव के साथ मासिक अनियमित हैं या मासिक के मध्य भी रक्तस्त्राव होता हैं , तो महिलाओं को सचेत हो जाना चाहिए , यदि संभोग से स्त्राव ज्यादा बढ़ जाता हैं , खून आता हैं , दर्द होता हैं , यदि स्त्राव गाढ़ा , फटा दही जैसा है , जननांगो में खुजली होती हैं , घाव हैं , तो भी यह गंभीर रोगों का संकेत हो सकता हैं ।

स्वस्थ युवतियों , महिलाओं में जननांगो संबंधित अनेक गलतफहमीयां विद्यमान है , अकसर महिलाएं जननांगो के रोगों , कष्टो को छिपाती हैं , शर्म के कारण उपचार नही कराती , जबकी कुछ महिलाएं अपने लक्षणों , कष्टो को बढ़ा - चढ़ाकर बयान करती है । स्वस्थ वयस्क युवतियों , महिलाओं में योनि से मामूली मात्रा में लसलसा द्रव स्त्रावित होता है , जो कि इसको गीला बनाये रखता है और संक्रमण से बचाव करने में मदद करता है ।

योनि से मामूली मात्रा में स्त्राव माँ के एस्ट्रोजन के प्रभाव , किशोरावस्था , युवतियों , महिलाओं में हॉर्मोन के प्रभाव से होता है । योनि स्त्राव की मात्रा गर्भावस्था , उत्तेजना , सहवास के समय बढ़ जाती है ।
योनि से होने वाला हर स्त्राव प्रदररोग ( ल्यूकोरिया ) नही
Leucorrhea
जब योनि से ज्यादा मात्रा में सफेद द्रव स्त्रावित होता हैं , तो यह श्वेतप्रदर या ल्यूकोरिया कहा जाता हैं । ल्यूकोरिया यदि सामान्य होता हैं , तो इसमें कोई दुर्गन्ध नही होती , इसकी मात्रा घटती - बढ़ती रहती हैं , सूखने में इसका रंग भूरा हो जाता हैं ।

आधुनिक मान्यताओं के अनुसार श्वेतप्रदर बीमारी नही है , यह स्वाभाविक स्त्राव हैं , जिसकी मात्रा ज्यादा हो गई हैं । न ही यह सामान्यतः संक्रमण की निशानी हैं , पर अनेक महिलाएं इसके संबंध में चिंतित , परेशान रहती है और उनको श्वेतप्रदर के कारण अनेक मनोदैहिक लक्षण हो सकते हैं ।

श्वेतप्रदर ग्रस्त महिलाओं की समस्याएं

  • कमजोरी
  • निचले पेट ( पेडू ) में दर्द
  • भारीपन
  • चक्कर आना
  • भूख न लगना
  • मल साफ न होना
  • हाथ - पैरों में ताकत न होना
  • जांघो में भारीपन
  • खिंचाव
  • सुस्ती
  • आलस्य
  • काम मे मन न लगना
  • चिड़चिड़ापन इत्यादि 
  • असलियत में इन लक्षणों का कोई ठोस संबंध श्वेतप्रदर से नही होता हैं । श्वेतप्रदर होने पर कमजोरी आना , यौन संबंधों में कष्ट होने की समस्या सिर्फ़ मिथ्या धारणा , गलतफहमी ही होती हैं ।


अधिक मात्रा में श्वेतप्रदर क्यो होता है ?

  • अनीमिया ( रक्ताल्पता )
  • मानसिक तनाव
  • जननांगो की स्वच्छता का अभाव
  • मासिक के समय गंदे पैड का प्रयोग
  • कुपोषण
  • अत्यधिक उत्तेजना
  • अश्लील फिल्में देखना
  • अश्लील पुस्तक पढ़ना
  • पति से वियोग
  • पति से अनबन
  • क्रोध
  • भय
  • चिन्ता
  • आरामदायक जीवन व्यतीत करने
  • हस्तमैथून
  • लंबे समय तक कब्ज रहने
  • आँतो में कीड़े
  • गर्भ निरोधक गोलियों या कॉपर - टी का उपयोग इत्यादि

श्वेतप्रदर को सोचकर तनावग्रस्त नही होना चाहिए , इसके कारण यौन आनंद , प्रजनन क्षमता में कोई दुष्प्रभाव नही होते , पर हर योनि स्त्राव को श्वेतप्रदर ( ल्यूकोरिया ) कहना भी गलत हैं , जब योनि , जननांगो का संक्रमण होता हैं या वह दशा श्वेत ल्यूकोरिया नही होती , तब इसको वैजाइनल डिसचार्ज कहते है ।

योनि से अत्यधिक स्त्राव दो कारणों से हो सकता है -


1 - गर्भाशय ग्रीवा से ज्यादा स्त्राव ( सरवाइकल ल्यूकोरिया )

प्रायः सरवाइकल ल्यूकोरिया प्रसव के दौरान ग्रीवा , योनि के चोटिल होने , हॉर्मोन के स्त्राव में बदलाव , इसमे संक्रमण ( क्रोनिक सर्विसाइटिस ) आदि के कारण हो सकता हैं ।


2 - योनि से स्त्राव ( वैजाइनल ल्यूकोरिया )

वैजाइनल ल्यूकोरिया जननांगो के रक्तप्रवाह में वृद्धि , जैसे गर्भावस्था , मासिक स्त्राव के पूर्व  , कब्ज , प्रजनन अंगों के संक्रमण ( पेल्विक इंफेलेमेटरी रोग ) इत्यादि कारणों से हो सकता है ।
योनि से होने वाला हर स्त्राव प्रदररोग ( ल्यूकोरिया ) नही
Vaginal Discharge

श्वेतप्रदर रोग में सावधानियां

  • श्वेतप्रदर का उपचार दुष्कर होता हैं , क्योकि इसके कारण का पता लगाना कठिन हैं ।
  • यदि महिलाएँ श्वेतप्रदर ग्रस्त है , तो उनको तनावग्रस्त नही होना चाहिए
  • संतुलित भोजन पर्याप्त मात्रा में करे , जिससे कुपोषण , अनीमिया से मुक्त हो सके
  • महिलाओं को नियमित व्यायाम करना चाहिए
  • भोजन में मिर्च - मसालों का कम मात्रा में सेवन करे
  • मदिरापान , धूम्रपान न करें
  • जननांगो की स्वच्छता का ध्यान रखें
  • तनावग्रस्त न हो , व्यर्थ चिन्ताओ से दूर रहे

जननांगो में संक्रमण मुख्यतः यौन संबंध जनित संक्रमण ( एस . टी . डी . ) जैसे गोनोरिया , ट्राइकोमोन्स , ग्लेमाईडिया , कैंडिडा इत्यादि जीवाणुओं के संक्रमण होने के परिणामस्वरूप होता हैं । इसके अतिरिक्त किसी बाह्य वस्तु के जननांगो में पहुंचने या रजोनिवृत्ति के पश्चात एस्ट्रोजन हॉर्मोन की कमी के कारण वेजेनाइटिस इत्यादि के कारण हो सकता है । वैजाइनल डिस्चार्ज का एक गंभीर कारण गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर है ।

श्वेतप्रदर महिलाओं में समान्य हैं , ज्यादा मात्रा में होना कुपोषण , अनीमिया ,  मानसिक तनाव , असन्तुलित जीवन या स्वच्छता के अभाव से हो सकता है , इसके कारण कमजोरी आने , प्रजनन क्षमता में कमी नहीं होती । यदि योनि स्त्राव सामान्य नही है , तो यह अनेक गम्भीर रोगों के कारण हो सकता हैं , इन युवतियों , महिलाओं को शर्म , झिझक छोड़कर उपचार करवाना चाहिए , जिससे इसके गंभीर परिणामो से बचाव हो सके ।

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