डीप वेन थ्रोम्बोसिस ( deep vein thrombosis ) DVT
DVT |
डीप वेन थ्रोम्बोसिस - हमारे शरीर मे रक्त संचार के लिये दो प्रकार की नसें होती है । एक शुद्ध रक्त को पूरे शरीर मे पहुचाने वाली और एक अशुद्ध रक्त को ह्रदय तक ले जाने वाली । शुद्ध रक्त ले जाने वाली नसों को आर्टरी ( artery ) कहा जाता है और अशुद्ध रक्त संचार वाली नसों को वेन ( vein ) कहा जाता है ।
हमारे शरीर का सारा अशुद्ध रक्त वेन के द्वारा ह्रदय में आता है ह्रदय से रक्त फेफड़ो ( lungs ) में जाता है वहा रक्त के साथ ऑक्सीजन मिल जाती है और फिर फेफड़ो से शुद्ध हुआ ऑक्सीजन युक्त रक्त वापस ह्रदय में आता है और वहा से ऑक्सीजन युक्त सारा रुधिर ( blood ) शरीर मे सप्लाई होता हैं ।
शरीर मे दो प्रकार की वेन ( vein ) होती हैं । एक सुपरफिसियल वेन ( superfisial vein ) और दूसरी डीप वेन ( deep vein ) डीप वेन शरीर के गहराई में होती हैं जब किसी कारण वश डीप वेन में रक्त का थक्का ( thrombus ) जम जाता है तो इसे ही डीप वेन थ्रोम्बोसिस कहा जाता हैं । अधिकतर डीप वेन थ्रोम्बोसिस पैरो में घुटनों के नीचे देखने को मिलती हैं ।
डीप वेन थ्रोम्बोसिस होने के कारण
( Causes of deep vein thrombosis in hindi )
- आनुवंशिकता
- ऑटो इम्यून डिसऑर्डर ( auto immune disorder )
- अगर किसी कारणवश वेन की एपिथिलीअल ( Epithilial ) टूट जाये
- रक्त का गाढ़ा होना
- कोलेस्ट्रॉल के कारण
- वेन के दब जाने से
- चोट लगने या फ्रेक्चर की वजह से
- चलने फिरने की आदत न होने केवल बैठ कर रहने से
- मोटापा
- दर्द निवारक गोलियों का सेवन
उपरोक्त किसी भी कारण से DVT ( Deep Vein Thrmbosis ) हो सकता है ।
डीप वेन थ्रोम्बोसिस के लक्षण( Symptoms of deep vein thrombosis in hindi )
- शुरुआत में 50 से 60 प्रतिशत रोगियों में इसके कोई लक्षण नही आते परन्तु जब यह 40 प्रतिशत लोगो मे निम्न लक्षण पाये जाते है ।
- घुटनों के नीचे पैरों को छूने पर दर्द का अनुभव
- त्वचा पर लालिमा और नीलापन
- त्वचा पर गर्म का एहसास
- सूजन आदि
डीप वेन थ्रोम्बोसिस की जटिलताएं( Complications of deep vein thrombosis )
- Pulmonary Embolism
- Chronic Venous insufficiency
- Post - Phlebotic Syndrome
आधुनिक चिकित्सा पद्धति में इसको ऑपरेशन के द्वारा ठीक किया जाता है परंतु इसके ऑपरेशन के बहुत सारे साइड इफेक्ट्स हो सकते है इसलिए इस बीमारी में आयुष चिकित्सा करना बेहतर होता है जो नीचे दिया जा रहा है । शुरूआत में कंप्रेशन स्टॉकिंग्स ( Compression Stocking ) लगाना चाहिए
- रोज सुबह - सुबह प्राणायाम करे ।
- रोज सुबह पांच मिनट भस्त्रिका करे ।
- रोज सुबह दस मिनट कपालभाती करे ।
- रोज सुबह पन्द्रह मिनट अनुलोम विलोम की क्रिया करनी चाहिए ।
आयुर्वेद द्वारा डीप वेन थ्रोम्बोसिस का इलाज( Treatment of DVT by Ayurved in hindi )
- पारिजात क्वाथ
- निर्गुण्डी क्वाथ
- दशमूल क्वाथ
उपरोक्त तीनो क्वाथ को बराबर मात्रा में मिलाकर एक बोतल में भरकर रख ले । इसमे से 10 ग्राम 2 गिलास पानी मे काढा तैयार करे जब आधा गिलास शेष रह जाये तब ठंडा होने पर छानकर इस काढ़े को सुबह शाम लेना चाहिए ।
इसके अलावा रोज सुबह कांचनार गुग्गुल सुबह हल्के गर्म पानी के साथ खाना खाने के बाद ले ।दोपहर को वृद्धिवाटिका वटी हल्के गर्म पानी के साथ और शाम को शिलाजीत रसायन वटी हल्के गर्म पानी के साथ लेने से डीप वेन थ्रोम्बोसिस कुछ ही दिनों में ठीक होने लगता है ।
बाहरी मालिश के लिए यदि नसे फूल गई हो तो पिडान्तक तैल की हल्के हाथो से मालिश करना चाहिए यदि निशान पड़ गए हो तो साथ मे कायाकल्प तैल की भी मालिश करना चाहिए ।
डीप वेन थ्रोम्बोसिस का होम्योपैथी से उपचार( Homoeopathic treatment for deep vein thrombosis in hindi )
1 - ARNICA 1 M ( अर्निका ) रोज सुबह - सुबह दो बूंद ले ।
2 - CALCAREA FLOR 6 X ( कैलकेरिया फ़्लोर ) सुबह - शाम चार गोली ले ।
3 - R - 63 - आधे कप हल्के गर्म पानी में 10 बून्द दिन में दो बार लेना चाहिए ।
उपरोक्त दी गई किसी भी चिकित्सा का उपयोग करके आप DVT डीप वेन थ्रोम्बोसिस को पूरी तरह से ठीक कर सकते है ।
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