> ब्लडप्रेशर के सम्बंध में कुछ आवश्यक जानकारी

ब्लडप्रेशर के सम्बंध में कुछ आवश्यक जानकारी

 हृदय खून को धमनियों में पहुंचाता है। धमनियों में लगातार रक्त पहुंचाने के लिए हृदय फेफड़ों में शुद्ध हुए खून को खींचता भी है। शरीर की क्रिया सामान्य रहने पर हृदय पंप की तरह खून को प्रतिमिनट 72 बार धमनियों में पहुंचाता है और फिर धमनियां उस खून को पूरे शरीर में पहुंचाती हैं। इस तरह हृदय के शुद्ध खून को जब धमनियां विभिन्न अंगों तक पहुंचाती है तो उसे नाड़ी का चलना कहते हैं।

High BP treatment in hindi
High BP Chart


शुद्ध खून को शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंचाने के लिए हृदय को पंप की तरह लगातार फैलते-सिकुड़ते रहना पड़ता है। इस तरह हृदय के फैलने-सिकुड़ने के कारण खून धमनियों के द्वारा विभिन्न अंगों में पहुंचता है और फिर शिराओं के द्वारा उन अंगों से अशुद्ध खून फिर से फेफड़ों में एकत्रित हो जाता है 

फिर फेफड़े उस खून को साफ करके हृदय तक पहुंचा देते हैं। इस तरह लगातर चलने वाले कार्य के द्वारा ही शरीर के विभिन्न अंग अपने कार्यों को कर पाते हैं। इस तरह हृदय के फैलने-सिकुड़ने की क्रिया से धमनियों में जो खून का बहाव होता है उसे ब्लडप्रेशर कहते हैं। 

जब किसी कारण से दिल की धड़कन बढ़ जाती है और खून का बहाव धमनियों में तेज हो जाता है तो उसे हाई ब्लडप्रेशर कहते हैं।

ब्लडप्रेशर के सम्बंध में कुछ आवश्यक जानकारी :-ब्लडप्रेशर हमेशा एक प्रकार का नहीं रहता बल्कि परिस्थितियों के अनुसार बदलता रहता है। उदाहरण के लिए भोजन करने के बाद जब पेट को अधिक खून की आवश्यकता होती है तब ब्लडप्रेशर बढ़ जाता है। इसी प्रकार अगर कोई व्यक्ति अधिक शारीरिक मेहनत करता है तो उसका ब्लडप्रेशर बढ़ जाता है। 


मानसिक उत्तेजना के कारण भी ब्लडप्रेशर बढ़ जाता है, जो व्यक्ति अधिक गुस्सैल होता है, भयभीत रहता है, चिन्ता करता है या रोगग्रस्त होता है उसका ब्लडप्रेशर बढ़ जाता है।इसके अतिरिक्त गुर्दा रोग ग्रस्त होने, शरीर का आवश्यक तत्व पेशाब के द्वारा बाहर निकलना, मोटापा,शराब पीने, संभोग करने, मांसाहारी भोजन करने, शिकार करने, सामान्य से अधिक खाने,कब्ज बनने तथा स्त्रियों में गर्भावस्था के दौरान ब्लडप्रेशर बढ़ जाता है। रोगी में हाई ब्लडप्रेशर होने पर रोगी को कष्ट होता है।

लो ब्लडप्रेशर में भी रोगी को भारी कष्ट होता है। कमजोर आदमी, पतले-दुबले, जिन्हें पूरी खुराक नसीब नहीं होती है उसे लो ब्लडप्रेशर का कष्ट होता है। बुढ़ापे के कारण शरीर कमजोर होने पर खून को प्रवाहित करने वाली नाड़ी कमजोर हो जाती है, यूरिक ऐसिड,कैल्शियम आदि की परतें नाड़ियों में जम जाती हैं, तब भी रक्त का दबाव बढ़ जाता है। हर समय ब्लडप्रेशर एक सा नहीं रहता इसलिए कई बार ब्लडप्रेशर लेकर उसका मध्यमान निकालना पड़ता है।

Post a Comment

0 Comments