दिल की बीमारी उच्च रक्त चाप (हाई ब्लड प्रेशर)
रक्त संचार के समय रक्त नलियों के भीतरी दीवार पर जो रक्त का दाब पड़ता उसे रक्तदाब या चाप कहते है। जब यह रक्तदाब सामान्य से गति से अधिक हो जाती है, तो उच्च रक्त चाप (हाई ब्लड प्रेशर) कहते है।
दिल की बीमारी उच्च रक्त चाप (हाई ब्लड प्रेशर) |
कारण
दिल की बीमारी होने, अधिक क्रोध(गुस्सा), भय, दु:ख (परेशानी),शंका, अधिक मोटापा, अधिक शारीरिक और दिमागी (मानसिक) परिश्रम,बीड़ी-सिगरेट पीना, अधिक संभोग(सहवास),मधुमेह (डाइबिटीज), जोड़ों का दर्द (गठिया), गर्भवती तथा बूढ़े लोग,कब्ज(मल के रुकने के कारण होने वाली बीमारी),गुर्दे(किडनी) या खून के दौरे में कुछ खराबी आदि होने की वजह से मनुष्य उच्च रक्त चाप (हाई ब्लड प्रेशर) से घिर जाता हैं। कुछ घरों में यह रोग वंश परंपरागत होता है, इसलिए यह किसी भी उम्र में हो सकता है।
लक्षण
हाईब्लड प्रेशर में रोगी को रात में नींद नहीं आती है तथा माथे, सिर व खोपड़ी पर दर्द होता रहता है। इस रोग में रोगी को कभी-कभी चक्कर आते हैं, आलस्य रहता है, काम करने में मन नहीं लगता, सिर हर समय भारी रहता है, कोई भी काम नहीं कर पाता, रोगी चिड़चिड़ा हो जाता है और छोटी-छोटी बातों में गुस्सा हो जाता है। रोगी को ऐसा महसूस होता है जैसे हृदय की धड़कन अचानक रुक जाएगी, रोगी को सांस लेने में परेशानी होती है, दम घुटता है जिससे रोगी को ऐसा लगता है जैसे उसे दमा रोग हो गया है। हाई ब्लडप्रेशर रोग में कभी-कभी रोगी को नींद आने के स्थान पर केवल झपकियां आती रहती हैं परन्तु वह सो नहीं पाता। इस रोग में रोगी को कभी-कभी नाक से खूनभी आता रहता है,हृदय के पास दर्द होता है, रोगी को कभी-कभी ऐसा लगता है जैसे अंग काम नहीं कर रहे हैं। रोगी के पूरे अंगों में सरसराहट होती रहती है तथा हृदय भी रोगग्रस्त हो जाता है।
भोजन तथा परहेज
( 1 )मांस,शराब, बीड़ी-सिगरेट, नमक,मिर्च, चाय, खट्टे पदार्थ, तेल, वनस्पति घी,गुड़, करेला, बैंगनी, मूली,मेथी, अरबी,उड़द, और चने की दाल आदि का प्रयोग न करें।
( 2 )चिंता, शोक,क्रोध, संभोग, दिन में सोना, धूप में घूमना आदि हानिकारक है।
( 3 )रात में तांबे के बर्तन में रखा हुआ पानी सुबह पीने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) कम होता है और इसके नियंत्रण में सहायता मिलती है।
( 4 )हल्के काम के बाद पूर्ण विश्राम करे। स्नान से पूर्व तेल की मालिश करें।
( 5 )उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिए चौलाई, पेठा, टिण्डा,लौकी आदि की सब्जियों का प्रयोग अधिक मात्रा में करना चाहिए, क्योंकि इनमें रक्तचाप को नियंत्रित करने की शक्ति होती है।
( 6 )सुबह-शाम को खुली हवा में घूमे तथा योगासन करें।सप्ताह में एक बार फलों का जूस अवश्य लें।
- मौसमी के रस का सेवन करने से हार्ट-फेल का भय नहीं रहता क्योंकि इससे रक्तवाहिनियों में कोलेस्ट्राल जमा नहीं होने पाता है।
- तरबूज के बीजों के रस में एक तत्व होता है जिसे कुरकुर पोसाइट्रिन कहते हैं। इसका असर गुर्दों पर भी पड़ता है। इससे उच्चरक्तचाप कम हो जाता है। इसके अलावा टखनों के पास की सूजन भी ठीक हो जाती है।
- तरबूज के बीज की गिरी और सफेद खसखस अलग-अलग पीसकर बराबर मात्रा मिलाकर रख लें। 3 ग्राम यानी 1 चम्मच की मात्रा से सुबह-शाम खाली पेट पानी के साथ लें। इससे रक्तचाप कम होता है और रात में नींद अच्छी आती हैं। सिर दर्द भी दूर हो जाता है। तरबूज के बीज की गिरी खाते रहनेसे उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) में लाभ होता है। कोलेस्ट्रोल पिघलकर पतला होकर निकलने लगता हैं। रक्तवाहिनियों की कठोरता घटने लगती हैं और उनकी रचना में खराबी आनी रुक जाती है। वे मुलायम और लचकीली बनने लगती है। इसका प्रयोग आवश्यकतानुसार 3-4 सप्ताह तक लें।
- दूध, बादाम, पिस्ता, काजू, अखरोट, सेब, पपीता, अंजीर आदि हितकारी है।
- सुबह खाली पेट लहसुन की 2-3 कलियों को छीलकर प्रत्येक कली के 3-4 टुकड़े कर थोड़े पानी के साथ सुबह खाली पेट चबा लें या उन टुकड़ों को पानी के घूंट के साथ निगल लें। इस विधि से कच्चे लहसुन का सेवन करना खून (रक्त) में कोलेस्ट्रोल की मात्रा शीघ्रता से घटाने, रक्तचाप कम करने और ट्यूमर बनने से रोकने में बेजोड़ है।
- भोजन के बाद पके हुए पपीते का सेवन करने से उच्च रक्तचाप(हाई ब्लड प्रेशर) में बहुत लाभ होता है।
- खाली पेट रोज पका हुआ पपीता खाने के बाद 2 घंटे कुछ न खाएं पीएं। ऐसा 1 महीने तक करने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर) ठीक होता है।
- 1 कप पपीते और गाजर के रस में आधा कप अनार या संतरे का रस मिलाकर उसमें 2-2 चम्मच तुलसी और लहसुन का रस मिला दें। इसे दिन में कुछ दिन लगातार 2 बार रोगी को देने से बिना किसी औषधि के रक्तचाप ठीक हो जाता है।
- प्याज का रस और शुद्ध शहद बराबर मात्रा में मिलाकर रोज 10 ग्राम की मात्रा में दिन में 1 बार लेना रक्तचाप का प्रभावशाली इलाज है।
- त्रिफला (हरड़, बहेड़ा और आंवला) का चूर्ण बनाकर रात को किसी बर्तन में 10 ग्राम चूर्ण पानी में मिलाकर रख दें। सुबह इस मिश्रण को छानकर थोड़ी-सी मिश्री मिलाकर पीने से उच्चरक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) कम होता है।
- निर्गुण्डी 10 ग्राम, लहसुन 10 ग्राम और सोंठ का चूर्ण 10 ग्राम मिलाकर 400 मिलीलीटर पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर 50-60 मिलीलीटर की मात्रा में काढ़े को रोजाना पीने से उच्च उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर) सामान्य होता है।
- गाजर के रस में शहद मिलाकर पीने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) में लाभ होता है।
- उच्चरक्त चाप (हाई ब्लडप्रेशर) से पीड़ित स्त्री-पुरुष को मूली के सलाद व रस का प्रतिदिन सेवन करने से लाभ होताहै। मूली के कोमल पत्ते चबाकर खाने से भी बहुत लाभ होता है।
- आंवले का चूर्ण 1 चम्मच, गिलोय का चूर्ण आधा चम्मच और 2 चुटकी सोंठ तीनों को मिलाकर गर्म पानी से सेवन करने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर) से लाभ होता है।
- आंवला को खाते रहने से अचानक हृदयगति रुकने की सम्भावना नहीं रहती और न ही उच्च रक्तचाप का रोग होता है।
- पानी में नमक डालकर छिलके वाला आलू उबाले। इस प्रकार उबाले गये दो तीन आलू को खुराक के रूप में सुबह-शाम खाने से उच्चरक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) में बहुत लाभ मिलता है।
- सर्पगन्धा, गिलोय और आंवला को समान भाग मिलाकर चूर्ण बनाकर रख लें। 1-1 ग्राम की मात्रा में रोजाना सुबह और शाम खाने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) में लाभ होता है। इस ट्रीटमेंन्ट के दौरान गर्म चीजे न खायें।
- गेहूं की बासी रोटी सुबह-सुबह दूध में भिगोकर खाने से उच्चरक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर) सामान्य हो जाता है।
- गेहूं और चना बराबर मात्रा में लेकर आटा पिसवायें। चोकर सहित आटे की रोटी बनायें और खायें। एक-दो दिन में ही उच्च रक्तचाप में सुधार आने लगेगा।
- उच्च रक्तचाप के रोगियों को पैर के तलवों पर मेहंदी लगानी चाहिए।
- नींबू, लहसुन और सेब का रस पीने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है।
- निम्न रक्तचाप (लो ब्लडप्रेशर) में हींग का सेवन करने से पूरा लाभ मिलता है।
- जटामांसी, ब्राह्मी और अश्वगंधा का चूर्ण समान मात्रा में मिलाकर 1-1 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार बार सेवन करने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) में लाभ होता है।
- शहद 2 चम्मच, नींबू का रस 1 चम्मच मिलाकर सुबह-शाम दिन में 2 से 3 बार सेवन करने से हाई बल्डप्रेशर (उच्च रक्त चाप) में लाभ होता है।
- शहद शरीर पर शामक प्रभाव डालकर रक्तवाहिनियों की उत्तेजना घटाकर और उनको सिकुड़ाकर उच्च रक्तचाप घटा देता है। शहद के प्रयोग से हृदय सबल व सशक्त होता है, लगभग 7 दिनों तक प्रयोग करने से लाभ होता है।
- हाई ब्लडप्रेशर होने पर 2 सेब रोज खाने से लाभ होता है।
- एक पके केले की फली खाली पेट खाने से उच्च रक्तचाप (हाईब्लडप्रेशर) में लाभ होता है यदि रोगी एसनोफिलिया से पीड़ित हो तो ऊपर से 2 दाने इलायची चबाने को दें।
- केले में सोडियम कम होता है, पोटैशियम पर्याप्त मात्रा में होता है, जो उच्च रक्तचाप को रोकता है।
- 4 तुलसी की पत्तियां, 2 नीम की पत्तियां, 2-4 चम्मच पानी के साथ घोटकर 5-7 दिन लगातार सबुह-सुबह खाली पेटपीने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है।
- प्रतिदिन सूर्योदय से पहले उठकर किसी बाग में घूमने जाने और ओस पड़ी घास पर नंगे पैर चलने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर) में बहुत लाभ होता है।
Homeopathic Medicine For High Blood Pressure
- 1. बैराइटा-म्यूर - यह औषधि किसी भी कारण से उत्पन्न हाई ब्लड प्रेशर में लाभकारी होती है। हाई ब्लड प्रेशर रोग में यदि रोगी को रात में सोते समय सिर में तेज दर्द होता है तो उसे बैराइटा-म्यूर औषधि की 6X, 3X, 6 या 30 शक्ति का सेवन करना चाहिए। इससे रात के समय दर्द में आराम मिलने के साथ रोग में आराम मिलता है।
- 2. लैकेसिस-अगर रोगी सोकर उठने पर परेशान रहता है, रात को सोने के बाद रोग बढ़ जाता है जिसके कारण रोगी सोने से डरता है क्योंकि सोने के बाद उसे सांस लेने में कष्ट होने के साथ रोग बढ़ जाने का डर लगा रहता है। रोगी जब चुस्त कपड़ा पहनता है तो उसे घुटन महसूस होती है इसलिए वह चुस्त कपड़े पहने से परहेज रखता है। ऐसे लक्षणों में रोगी को लैकेसिस औषधि की 1M शक्ति का सेवन करना चाहिए।
- 3. ग्लोनॉयन-ब्लड प्रेशर रोग से पीड़ित रोगी को पूरे शरीर में नाड़ी की चलने की आवाज महसूस होती रहती है तथा हृदय की धड़कन उंगुलियों तक महसूस होती है। हृदयकी धड़कन बढ़ने के साथ रोगी को ऐसा महसूस होता है जैसे खून सिर पर चढ़ रहा है तथा हृदय के अन्दर जा रहा है। रोगी को सूर्य के गर्मी के साथ सिर दर्द होने लगता है, सीधा बैठने पर चक्कर आता है, सिर की धमनियां उभर आती है, सिर दर्द होता है तथा हृदय में दर्द रहता है। ऐसे लक्षणों में रोगी को ग्लोनॉयम औषधि की 6 शक्ति या 30 शक्ति का सेवन कराने से लाभ होता है और ब्लड प्रेशर सामान्य होता है।
- 4. बेलाडोना-रोगी का चेहरा लाल हो जाता है जैसे वह बहुत गुस्से में हो। रोगीकी आंखें उभर आती है, गले की नसें टपकने लगती है, मन उत्तेजित हो जाता है, मुंह तथा गला सूख जाता है, रोगी को पानी पीना अच्छा नहीं लगता, स्नायुओं में ऐसा दर्द होता है जो अचानक उत्पन्न होता है और अचानक समाप्त होता है। ऐसे लक्षणों में रोगी को बेलाडोना औषधि की 30 शक्ति का उपयोग बार-बार करने से ब्लड प्रेशर सामान्य होता है।
- 5. जेल्सीमियम-यदि किसी व्यक्ति को घटना आदि के बारें में सुनने के कारण मानसिक आघत पहुंचा हो और उसका ब्लड प्रेशर बढ गया हो और रोगी के सिर दर्द, सिर में भारीपन, सिर सुन्न पड़ जाना, सिर की गुद्दी में दर्द होना तथा नींद का न आनाव आलस्य आदि लक्षण उत्पन्न हो तो उसे जेल्सीमियम औषधि की 1M क्ति का सेवन करना उपयोग होता है।
- 6. नैट्रम-म्यूर-हाई ब्लड प्रेशर रोग से पीड़ित रोगी अधिक चिन्तित रहता है तथा गुस्सा अधिक होता है जिससे वह बात-बात पर लड़ने के लिए तैयार हो जाता है। ऐसे रोगी को नमक अधिक पसन्द होता है। इस तरह के हाई ब्लड प्रेशर के रोगी को नैट्रमू-म्यूर औषधि की 200 क्ति का उपयोग करने से रोग में लाभ होता है।
- 7. आर्सेनिक एल्बम-ब्लड प्रेशर के साथ बहुत बेचैनी हो, आंखें फूली हुई हो और पैर सूजे हुए हों, सांस लेने में परेशानी होती हो, रात को बिस्तर में लेटने से घूटन हो तथा ऊंचाई पर चढ़ने से सांस फुलने लगती हो। ऐसे लक्षणों में आर्सेनिक एल्बम औषधि की 30 शक्ति का सेवन कराने से हाई ब्लड प्रेशर सामान्य होता है।
- 8. क्रैटेगस मूलार्क-हाई-ब्लड प्रेशर धमनियों के कड़ा पड़ जाने के कारण होता है, उनमें कैल्शियम के जमा हो जाने के कारण धमनियों का सख्त हो जाना आदि में रोगी को क्रैटेगस औषधि का मूलार्क 5 से 10 बूंद की मात्रा में हर 8 घंटे के अन्तर पर लेते रहने से धमनियों को सख्त करने वाली तत्वों घुल जाते हैं और धमनियों का कड़ापन दूर होकर हाई ब्लड प्रेशर कम होता है। इस औषधि के प्रयोग से हाई ब्लड प्रेशर सामान्य हो जाने पर रोगी को इसका इस्तेमाल करना बंद कर देना चाहिए।
- 9. ऐसिड-फॉस-यदि किसी रोगी का ब्लड प्रेशर स्नायु संस्थान की कमजोरी के कारण उच्च (हाई) या निम्न (लो) हो गया हो तो रोगी को ऐसिड फॉस 1X, 30 या 200 शक्ति का सेवन करना हितकारी होता है। इस औषधि के प्रयोग से स्नायु संस्थान शक्तिशाली होकर ब्लड प्रेशर को कम करता है।
- 10. प्लम्बम- यदि किसी रोगी को बार-बार हाई ब्लड प्रेशर के दौरे पड़ते हों तो उस रोगी को प्लम्बम औषधि की 3 या 30 शक्ति का उपयोग करना चाहिए।
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