महिलाओं का मित्र योग-पत्रांगासव
Patrangasava
Patrangasava |
पत्रांगासव के घटक द्रव्य-
- पतंग की लकड़ी का बुरादा,
- सारसार,
- अडूसे की जड़,
- सेमल के फूल,
- खिरेंटी की जड़,
- शुद्ध भिलावा,
- अनन्तमूल सफेद,
- अनन्तमूल काला (श्यामलता),
- गुड़हल (जपा कुसुम) की कलियां,
- आम की गुठली की गिरी,
- दारुहल्दी,
- चिरायता,
- पोस्त के डोडे,
- जीरा सफ़ेद,
- अगर,
- रमोत,
- बेलगिरी,
- भांगरा,
- दालचीनी
- कैसर और लौंग- सब 10-10 ग्राम। मुनक्का 200 ग्राम, धाय के फूल 150 ग्राम, शक्कर दो किलो और शहद आधा किलो।
पत्रांगासव की निर्माण विधि-
सभी 21 द्रव्यों (पतंग से लौंग तक) को जौ कुट करके मिला लें और मुनक्का, धाय के फूल, शक्कर और शहद के साथ पांच लिटर पानी में डाल कर पात्र को ढक्कन से ढक कर कपड़ा लपेट कर, ढक्कन अच्छी तरह बन्द करके रख दें। एक मास तक रख कर, इसे मोटे कपड़े से छान लें। यह पत्रांगासव तैयार है। इसे बोतलों में भर लें।
पत्रांगासव की मात्रा और सेवन विधि-
यह योग महिलाओं का मित्र मान कर कुशल और आयुर्वेदज्ञ वैद्य इस योग की प्रशंसा करते हैं क्योंकि इस योग का सेवन नियमित रूप से 3-4 मास तक करने से श्वते प्रदर, रक्त प्रदर, कष्टार्तव यानी कष्ट के साथ मासिक स्त्राव होना, अनियमित मासिक स्त्राव होना, कमर दर्द, गर्भाशय की कमज़ोरो, रक्त की कमी आदि व्यादियां दूर होती हैं। इस योग का सीधा प्रभाव स्त्री शरीर के कटि प्रदेश और जननांग पर पड़ता है। इसे स्त्रियों का जनरल टॉनिक कहा जा सकता है। प्रति वर्ष 3-4 मास इसका सेवन करने से उनका स्वास्थ्य व सौन्दर्य बरकरार बना रह सकता है। यह योग इसी नाम से बना बनाया बाजार में उपलब्ध है।
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