शिशुओं के लिए हितकारी बालार्क गुटिका
Balark Ras (Gutika)
यदि माता ने गर्भकाल में उचित आहार-विहार न किया हो, आयुर्वेद में बताई 'नव मास चिकित्सा' का पूरे गर्भकाल में विधिवत और नियमित रूप से सेवन न किया हो, शरीर से कमज़ोर या किसी रोग से पीड़ित रही हो और प्रसव के बाद भी स्वस्थ व निरोगी शरीर वाली न हो तो एक तो शिशु जन्मजात कमज़ोर या किसी रोग से पीड़ित होगा और दूसरे, ऐसी माता का दूध पीने वाला शिशु भी शरीर से स्वस्थ, निरोगी और मज़बूत नहीं रह सकेगा। ऐसी स्थिति में जन्म लेने वाले और माता के दूध पर निर्भर रहने वाला शिशु के कमजोर, अविकसित और दुबले पतले शरीर को पुष्ट और सुडौल बनाने वाले श्रेष्ठ आयुर्वेदिक योग 'बालार्क गुटिका' का परिचय प्रस्तुत है।
Balark Ras (Gutika) |
बालार्क गुटिका के घटक द्रव्य-
- शुद्ध खर्पर या यशद भस्म,
- प्रवाल भस्म,
- वंग भस्म,
- शुद्ध सिंगरफ,
- सोहागे का फूल,
- सफेद मिर्च,
- कपुर व केसर- सब द्रव्य समान मात्रा में।
बालार्क गुटिका की निर्माण विधि-
सभी द्रव्यों को मिला कर पानी के साथ खरल में घुटाई करके आधी आधी रत्ती की गोलियां बना कर सुखा लें।
बालार्क गुटिका की मात्रा और सेवन विधि-
एक-एक गोली सुबह शाम माता के दूध या शहद में पीस कर शिशु को चटा कर मां अपना दूध पिला दे या 1-2 चम्मच दूध पिला दे ताकि औषधि पेट में चली जाए।
बालार्क गुटिका के लाभ -
इस बालार्क गुटिका का नियमित रूप से सुबह शाम लगातार सेवन कराने से शिशु का शरीर पुष्ट, सुडौल व शक्तिशाली हो जाता है। वातश्लेष्म विकार (गैस व सदी खांसी), सूक्ष्म ज्वर, श्वास कष्ट, कृमि, मन्दाग्नि, उलटी दस्त आदि बीमारियां दूर होती है जिससे बच्चा स्वस्थ व प्रसन्न रहता है। इस योग के सेवन से शिशु के शरीर में रोग प्रतिरोधक शक्ति बनी रहती है जिससे शिशु इन्फेक्शन के प्रभाव से बचा रहता है।
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