> आम दोषनाशक योग- चित्रकादि वटी ( Chitrakadi Vati)

आम दोषनाशक योग- चित्रकादि वटी ( Chitrakadi Vati)

 आम दोषनाशक योग- चित्रकादि वटी ( Chitrakadi Vati)

आम दोष के कारण

  1. ग़लत ढंग से, अनियमित रूप से और वक्त बेवक्त आहार-विहार करने
  2. परिश्रम या व्यायाम न करने
  3. सदैव चिन्ता एवं मानसिक तनाव से ग्रस्त वने रहने 
  4. भारी व चिकने पदार्थ अति मात्रा में सेवन करने 

अभक्ष्य पदार्थों का सेवन आदि कारणों से आमाशय में खरावी पैदा हो जाती है। जिससे अन्न (आहार) ठीक से पचता नहीं और आंव युक्त कच्चा व चिकना मल थोड़ी-थोड़ी मात्रा में दस्त द्वारा निकलता रहता है। यदि इसका इलाज ठीक से और शीघ्र न हो सके तो यह रोग संग्रहणी जैसे असाध्य और घातक रोग में परिवर्तित हो सकता है। आम दोष को दूर करने वाले एक गुणकारी आयुर्वेदिक योग 'चित्रकादि वटी को घर पर बनाने की विधि .

आम दोषनाशक योग- चित्रकादि वटी ( Chitrakadi Vati)

        चित्रकादि वटी



चित्रकादि वटी के घटक द्रव्य

  1. चित्रकमूल की छाल, 
  2. पीपलामूल 
  3. जवाखार 
  4. सज्जीखार 
  5. पांचों नमक 
  6. त्रिकुट 
  7. भुनी हींग
  8. अजमोद तथा चव्य- सभी द्रव्यों का कुटा पिसा बारीक चूर्ण 20-20 ग्राम। अनार या बिजोरा नींबू का रस आवश्यक मात्रा में।


चित्रकादि वटी के निर्माण की विधि

सभी द्रव्यों को खूब कूट पीस कर ( हींग को शुद्ध घी ने भून कर पीस लें यह भुनी होंग है ) अच्छी तरह मिला कर छन्नी से तीन बार छान लें फिर अनार या बिजौरा नींबू के रस में पिटाई करके मटर बराबर गोली बना कर, सुखा लें।


चित्रकादि वटी की मात्रा और सेवन विधि

सुबह दोपहर व शाम को 2-2 गोली, कुछ खाने के बाद, भोजन के बाद सादे पानी से लें।


चित्रकादि वटी के लाभ -

आंव को पचा कर, आंव समाप्त करने वाली यह उत्तम औषधि है। इसके सेवन से पाचन सुधरता है जिससे आंव और गैस बनना बन्द हो जाता है। जैसे ही मल चिकना आये वैसे ही सावधान हो जाएं और उचित ढंग से खान पान करने में सख्ती से काम लेते हुए चित्रकादि वटी का सेवन लाभ न होने तक जारी रखें। परहेज़ का सख्ती से पालन करें।

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