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गर्म पानी को बोतल में भरकर पेट की सिंकाई

 पानी पांच मूलभूत तत्त्वों में से एक है। पानी मानव प्राणी को ही नहीं बल्कि पृथ्वी में मौजूद सभी जीवों, पेड़-पौधों और जन्तुओं को जीवन प्रदान करता है। जीवन को जीने के लिए वायु के बाद पानी सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। पानी की इतनी महत्त्वता होने के कारण यह हमारी पृथ्वी की एक जरूरी जरूरत है, यही कारण है कि सौरमण्डल के तमाम ग्रहों में केवल पृथ्वी पर ही जीवन की उत्पति हुई है। 

Water Treatment in Hindi
Water Treatment


हमारी पृथ्वी के लगभग 70 प्रतिशत भाग में पानी ही पानी है। इस पानी को हम विभिन्न रूपों में देख सकते हैं जैसे उमड़ते बादलों के रूप में, लहराते सागर के रूप में, हिम-शिखरों पर जमी बर्फ के रूप में। किंतु पृथ्वी पर पानी की कुल मात्रा स्थिर और सीमित है। एक अनुमान के अनुसार पृथ्वी पर 146 करोड़ घन किलोलीटर जल है। इतनी सारी जलराशि में पीने योग्य पानी केवल एक प्रतिशत है। बाकी का 97 प्रतिशत सागरों का खारा पानी है तथा 2 प्रतिशत बर्फ के रूप में है। 


पानी जीवन का आधार है। पानी द्वारा ही पोषक तत्त्वों को कोशिकाओं तक पहुंचाया जाता है और अवशिष्ट पदार्थ विसर्जित (नष्ट) होकर शरीर से बाहर निकल जाते हैं। मनुष्य के शरीर में मौजूद पानी पाचन-संस्थान को स्निग्धता (चिकनाई) प्रदान करता है। 


सामान्यत: हमारे शरीर में रोजाना 2600 ग्राम पानी खर्च होता है। गुर्दों से 1500 ग्राम, त्वचा से 650, फेफड़ों से 320 ग्राम और मलमार्ग से 130 ग्राम पानी खर्च होता है जिसकी पूर्ति भोजन में रहने वाले पानी से होती है। फिर भी सतुंलन बनाये रखने के लिए कम से कम 2 से 3 लीटर पानी रोजाना पीना जरूरी है। पानी एक साथ नहीं, धीरे-धीरे, घूंट-घूंट करके पीना चाहिए जिससे वह शरीर के तापमान के अनुसार वह पेट में पहुंचता जाता है। 


विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार विश्व में केवल 75 प्रतिशत शहरी और 40 ग्रामीण क्षेत्रों में ही साफ पीने वाला पानी उपलब्ध है।


मनुष्य के खून के तरल भाग `प्लाज्मा´ में लगभग 90 प्रतिशत पानी होता है। शरीर का पानी दो भागों में बंटा होता है। कोशीय पानी तथा बाहृय कोशीय पानी। शरीर के कुल भार का 40 प्रतिशत कोशीय जल एवं 20 प्रतिशत बाहृय कोशीय पानी होता है। घुलनशीलता पानी की एक विशेषता है। इसी के माध्यम से शरीर में रासायनिक परिवर्तन और प्रतिक्रियाएं होती हैं। 


पानी की आपूर्ति शरीर की रासायनिकता को संतुलित बनाए रखती है। उसी से शरीर की उष्मा नियंत्रित रहती है तथा शरीर की विच्छिन्नता रुककर शरीर का तापमान सामान्य बना रहता है। मनुष्य भोजन के अभाव में कई महीने तक जीवित रह सकता है किंतु पानी के अभाव में नहीं रह सकता है। 


यदि शरीर में एक निश्चित अनुपात से 10 से 20 प्रतिशत पानी कम हो जाए तो आंखें झपकना बंद हो जाती हैं, आदमी बोल तक नहीं पाता है। 20 प्रतिशत से अधिक पानी की कमी हो जाने पर पेशाब के स्थान पर खून की बूंदे निकलने लगती हैं और व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।


हानिकारक :गर्म भोजन करने के बाद। खीरा, खरबूजा, ककड़ी खाने के बाद। सोकर उठने के तुरंत बाद चाहे दिन हो या रात। औरत से संभोग के बाद। दस्त हो जाने के बाद। दूध, चाय, छींके लेने के बाद। धूप से आने के तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिए।


गुण :उच्चरक्तदाब(हाई ब्लड प्रेशर),अर्श (बवासीर),ज्वर (बुखार),लू लगना (गर्मी लगना),सूजाक (गिनोरिया), पेशाब के रोग,रक्तपित्त, दिल की धड़कन,कब्ज,पेट में जलन आदि रोगों में अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए 


क्षय (टी.बी.),अपच,आंखों के रोग, पुराना बुखार, कोढ़ और मधुमेह के विकारो में पानी बार-बार परंतु थोड़ा-थोड़ा पीना चाहिए।


मधुमेह (डायबिटीज), और बहुमूत्र(बार-बार पेशाब आना) के रोग में पानी की अपेक्षा दूध अधिक पीना चाहिए। 


मोटापा घटाना,गैस, कोलायटिस, अमीबाइसिस, कृमि (कीड़े),पसली का दर्द, जुकाम, बादी के रोग,गले के रोग, कब्ज, नया बुखार,संग्रहणी(अधिक दस्त का आना),श्वास (दमा),खांसी,हिचकी, चिकनी चीजे या खाना खाने के बाद 1 गिलास गर्म-गर्म पानी जितना गर्म पिया जा सके लगातार पीते रहने से ठीक हो जाते हैं। 


गर्म पानी में आधा नींबू का रस निचोड़ दिया जाए तो समय पर भूख भी अच्छी लगती है तथा पेट में गैस और सड़न भी नहीं होती। सर्दी के मौसम में प्रात: समय में गर्म पानी पीने से जुकाम,खांसी नहीं होती है।


ठंडे पानी से नहाने से स्वप्नदोष और वीर्य के रोगों में लाभ होता है।


सुबह सोकर उठते ही 1 गिलास पानी पीने तथा भोजन करते समय घूंट-घूंट करके पानी पीने से कब्ज के रोग में लाभ मिलता है।


सोने से पहले 5 से 10 मिनट तक गर्म पानी में पिंडलियों (एड़ियों) तक दोनों पैर रखने चाहिए। इसे उष्णपाद नहाना कहते हैं। यदि सिर चकराते हुए प्रतीत हो तो सिर पर गीला रूमाल रखना चाहिए या गर्मी में ठंडे पानीसे और सर्दी में गर्म पानी से पैर धोकर सोने से गहरी नींद आती है।


बिच्छू, बर्र (ततैया), मधुमक्खी, गिरगिट, चूहा आदि के द्वारा काटे हुए स्थान पर देशी घी मलें और उसके बाद नल खोलकर टोंटी के आधे मुंह पर अंगुली लगाकर काटे हुए स्थान पर लगातार पिचकारी मारें। इस प्रकार तेज जलधारा के लगातार गिराते रहने से विषैले दांतों की जलन ठीक हो जाती है।


बिच्छू के काटने पर तुरंत ही पानी से नहाने से दर्द ऊपर नहीं चढ़ता है।


ज्यादा चलने से या ऊंचाई आदि पर चढ़ने से पैरों में थकानआ गई हो तो शाम को गर्म पानी में नमक डालकर थोड़ी देर तक पैरों को डुबाये रखने से पैरों की थकान दूर हो जाती है।


धूप, गर्मी के कारण या गर्म प्रकृति की चीजों को खाने से अगर पेशाब में जलन हो, पेशाब बूंद-बूंद करके आता हो तो ठंडे पानी या बर्फ के पानी में कपड़ा भिगोकर नाभि से नीचे बिछाए रखने से पेशाब खुलकर और बिना दर्द के आता है।


2 मिनट तक गर्म पानी को मुंह में भरकर रख लें, फिर बहुत ठंडे पानी को 2 मिनट मुंह में रख लें। ऐसा केवल 4 बार ही करें। यह प्रयोग गर्म पानी से प्रारम्भ करके ठंडे पानी से समाप्त करें। इससे दांतों का दर्द दूर हो जाता है। दर्द मिट जाने के बाद भी 3 दिनों तक प्रयोग जारी रखें। यदि मसूढ़े फूलते हो तो गर्म पानी से कुल्ले करने से लाभ मिलता है।


चोट लगने या जख्म होने पर ठंडे पानी से भीगा हुआ कपड़ा उस स्थान पर बांध दें तथा कपड़े को हमेशा गीला रखे। ऐसा करने से जख्म ठीक हो जाता है।


1 लीटर साफ पानी, 8 छोटे चम्मच चीनी या 40 ग्राम नमक। पानी बिल्कुल साफ न हो तो उसे उबालकर ठंडा कर लें। फिर उसमें नमक और चीनी मिला दें। इसे घोलकर छोटे बच्चों को चम्मच से और बड़े बच्चों को गिलास से थोड़ी-थोड़ी देर बाद पिलाते रहने उल्टी और दस्त में लाभ मिलता है।


बच्चे को दूध पिलाने से 15 मिनट पहले माता 1 गिलास पानी पी ले तो बच्चे का दूध जल्दी पच जाता है और बच्चों को दस्त आदि नहीं आते हैं।


यदि पैरो में पसीना अधिक आता हो तो पहले पैरों को गर्म पानी में रखें, फिर ठंडे पानी में रखें और दोनों पैरो को आपस में रगड़ दें।फिर पैरों को बाहर निकलकर पोंछ लें। 1 सप्ताह तक रोजाना यह प्रयोग करने से लाभ होता है।


एड़ियों की त्वचा खासकर औरतों की जल्दी ही कठोर, काली और सूखी हो जाती है। सोने से पहले रात को रोजाना एड़ियों को गर्म पानी और साबुन से धोकर-पोंछकर रगड़-रगड़कर तेल लगाने से एड़ियां सुन्दर और मुलायम हो जाती हैं।


तौलिये को गर्म पानी मे भिगोकर तथा निचोड़कर सिर पर 2 मिनट तक रखें। इसके तुरंत बाद दूसरा तौलिया ठंडे पानी में भिगोकर और निचोड़कर 1 मिनट तक सिर पर रखें। यह क्रिया 20 मिनट तक रोजाना करने से सिर के बाल गिरना बंद हो जाते हैं


दूब (घास) पर पड़ी ओस चेहरे पर लगाने से मुंहासे निकलना बंद हो जाते हैं।


अगर आंख की पलक पर फुंसी हो गई हो तो पहले गर्म पानी में कपड़ा भिगोकर 3 मिनट तक सिंकाई करें। उसके बाद फिर ठंडे पानी में कपड़ा भिगोकर तुरंत ही सिंकाई करने से 2 दिन में ही फुंसी ठीक हो जाती है।


पहले गर्म पानी फिर ठंडे पानी से एक के बाद एक सेंक करने से अंडकोष का फूलना सही हो जाता है।


आंख की भौं व आंख के चारों ओर दर्द होने पर विवर प्रदाह (जलन) होती है। जिस ओर की आंख में दर्द हो, उस ओर के नाक के नथुने से भगौने में उबलते पानी की भाप को नाक से अंदर लेना चाहिए। जैसे दांयी ओर की आंख पर दर्द हो तो दांये नथुने से भाप अंदर खींचे और दोनों आंखों में दर्द हो तो दोनों नथुनों (नाक के छेदों में) से भाप अंदर खींचें तो आराम होगा।


1 लीटर के लगभग पानी उबालें, जब पानी 250 मिलीलीटर रह जाये तब इसका सेवन करने से कफ-ज्वर दूर हो जाता है।


रात को गर्म पानी पीकर सोने से खांसी कम चलती है।


जाड़े के दिनों में डेढ़ से 2 लीटर और गर्मी में लगभग 3 लीटर पानी अवश्य पीना चाहिए। भोजन के 1 घंटे पहले और लगभग 2 घंटे बाद ही पानी पीना चाहिए।


गर्भाशय की सूजन होने पर पेडू़ (नाभि) पर गरम पानी की बोतल को रखने से लाभ मिलता है।


पानी को 5-6 घंटे तक धूप में रखकर फिर उस पानी को पीने से पुराना जुकाम (पीनस) रोग में लाभ होता है।


रात को सोने से पहले काफी सारा ताजा पानी पीने से जुकाम ठीक हो जाता है।


1 लीटर पानी में लगभग 2 चम्मच चीनी और 1 चुटकी नमक मिलाकर गर्म करें, फिर इसे ठंडा करके लगभग 2 ग्राम की मात्रा में एक दिन में 2 से 3 बार पीने से दस्त में लाभ मिलता है।


शरीर में कहीं पर भी, कैसा भी दर्द हो, पहले गर्म पानी से 3 मिनट सेक करें, इसके तुरंत बाद बर्फ जैसे ठंडे पानी से एक मिनट सेंक करने से दर्द में लाभ होता है।


लगभग 1 लीटर पानी को इतनी देर तक उबालें कि वह बचकर 700 मिलीलीटर के लगभग रह जाये, तब इस पानी को पीने से पित्त बुखार खत्म हो जाता है।

125 मिलीलीटर पानी को उबालकर उतार लें, जब गुनगुना रह जाये तब इसमें 15 मिलीलीटर नींबू का रस (आधा कागजीनींबू) को निचोड़कर और 15 ग्राम शहद को मिलाकर शर्बत के बराबर 1 महीने तक खाली पेट पीने से मोटापा समाप्त होता है और शरीर में मौजूद चर्बी घटकर कम हो जाती है।


भोजन से पहले 1 गिलास गुनगुना पानी पीने से भोजन अधिक मात्रा में नहीं किया जा सकता है। ऐसा करने से 2 महीने में ही शरीर की चर्बी घटने लगती है।


खाना खाने के आधे घंटे के बाद गर्म पानी जितना गर्म पियाजा सके उतना गर्म पानी पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।


गर्म पानी को बोतल में भरकर पेट की सिंकाई करने से सभी प्रकार के पेट दर्दों में लाभ होता है।


हाथ-पैरों में दर्द और जी घबराने पर शीतल जल की पट्टी बहुत लाभदायक होती है। सिर और पेट पर ठंडे पानी में कपड़ा भिगोकर रखने से सिर का चकराना दूर हो जाता है।


शरीर में खुजली वाले स्थान पर रोजाना 15 मिनट तक ठंडे पानी की एक धार सी बनाकर डालनी चाहिए।


तांबे का पुराना पैसा पानी में घिसकर दिन में 2 से 3 बार हाथ-पैरों की गांठ पर लगाने से हाथ-पैरों पर मांस की गांठे ठीक हो जाती हैं।


सूजन, फुंसी, फोड़ों आदि पर शुरुआत में 3 मिनट तक गर्म पानी से सिंकाई करें। उसके बाद 1 मिनट तक ठंडे पानी से सिकाई करें। इसी तरह से सुबह-शाम दो बार सिंकाई करने से बहुत लाभ होता है।


कसूम्बा के तेल की मालिश करने से शरीर का सुन्न होना दूर हो जाता है। पानी में पीसकर लेप करने से खून का दौड़ना तेज हो जाता है।


दोनों पैरों को गर्म पानी में रखने से जुकाम के कारण होने वाला सिर का दर्द दूर हो जाता है।


ब्लडप्रैशर या रक्तचाप के कारण होने वाले सिर के दर्द में रोगी के सिर पर पानी की पटि्टयां रखने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।


त्वचा के बाहरी खूबसूरती के लिए बहुत सारा पानी पियें। कम से कम एक दिन में 8 गिलास पानी पीने से शरीर के अंदर की सफाई हो जाती है।


2 लीटर जल में 250 ग्राम गेहूं डालकर उबालें, फिर इसके पानी को छानकर कपड़े से सूजन वाले स्थानों पर सिंकाई करने से सूजन दूर हो जाती है।

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