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Ginger benefits in hindi |
अदरक के फायदे और नुकसान Ginger benefits in hindi
1 - भोजन को स्वादिष्ट व पाचन युक्त बनाने के लिए अदरक का उपयोग आमतौर पर हर घर में किया जाता है। वैसे तो यह सभी प्रदेशों में पैदा होती है, लेकिन अधिकांश उत्पादन केरल राज्य में किया जाता है।
2 - भूमि के अंदर उगने वाला कन्द आर्द्र अवस्था में अदरक, व सूखी अवस्था में सोंठ कहलाता है। गीली मिट्टी में दबाकर रखने से यह काफी समय तक ताजा बना रहता है। इसका कन्द हल्का पीलापन लिए, बहुखंडी और सुगंधित होता है।
3 - अदरक में अनेक औषधीय गुण होने के कारण आयुर्वेद में इसे महा औषधि माना गया है। यह गर्म, तीक्ष्ण, भारी, पाक में मधुर, भूख बढ़ाने वाला, पाचक, चरपरा, रुचिकारक, त्रिदोष मुक्त यानी वात, पित्त और कफ नाशक होता है।
Information About अदरक in hindi
वैज्ञानिकों के मतानुसार अदरक की रसायनिक संरचना में 80 प्रतिशत भाग जल होता है, जबकि सोंठ में इसकी मात्रा लगभग 10 प्रतिशत होती है।
बाहरी स्वरूप :यह उर्वरा और रेत मिश्रित मिट्टी में पैदा होने वाला गुल्म जाति की वनस्पति का कन्द है, इसके पत्ते बांस के पत्तों से मिलते-जुलते तथा एक या डेढ़ फीट ऊंचे लगते हैं।
अदरक ayurvedic in hindi
अदरक की प्रकृति गर्म होने के कारण जिन व्यक्तियों को ग्रीष्म ऋतु में गर्म प्रकृति का भोजन न पचता हो, कुष्ठ,पीलिया, रक्तपित्त,घाव, ज्वर, शरीर से रक्तस्राव की स्थिति,मूत्रकृच्छ, जलन जैसी बीमारियों में इसका सेवन नहीं करना चाहिए।खून की उल्टी होने पर और गर्मी के मौसम में अदरक का सेवन नहीं करना चाहिए और यदि आवश्यकता हो तो कम से कम मात्रा में प्रयोग करना चाहिए।
मात्रा :अदरक 5 से 10 ग्राम, सोंठ का चूर्ण 1 से 3 ग्राम, रस 5 से 10 से मिलीलीटर, रस और शर्बत 10 से 30 मिलीलीटर।
उड़द की दाल पीसकर घी में सेकें फिर उसमें गुड़ और सौंठ पीसकर मिलाकर लड्डू बनाकर रख लें। एक लड्डू प्रतिदिन खाएं या सोंठ और उड़द उबालकर इनका पानी पीयें। इससे भी लकवा ठीक हो जाता है।
दो ग्राम सोंठ का चूर्ण घी के साथ अथवा केवल सोंठ का चूर्ण गर्म पानी के साथ प्रतिदिन सुबह-सुबह खाने से भूख बढ़ती है।
10-20 मिलीलीटर रस में दो चम्मच शहद मिलाकर पीने से वातज अंडकोष की वृद्धि मिटती है।
अदरक, त्रिफला और गुड़ के मिश्रण का सेवन करने से कामला (पीलिया) में लाभ होता है।
अदरक के 10 से 20 मिलीलीटर रस में गुड़ मिलाकर सुबह-सुबह पी लें। इससे सभी प्रकार की सूजन जल्दी ही खत्म हो जाती है।
अदरक के एक किलोग्राम रस में 500 मिलीलीटर तिल का तेल डालकर आग पर पकाना चाहिए, जब रस जलकर तेल मात्र रह जाये, तब उतारकर छान लेना चाहिए। इस तेल की शरीर पर मालिश करने से जोड़ों की पीड़ा मिटती है।
सन्निपात की दशा में जब शरीर ठंडा पड़ जाए तो इसके रस में थोड़ा लहसुन का रस मिलाकर मालिश करने से गरमाई आ जाती है।
10 ग्राम सोंठ 100 मिलीलीटर पानी में उबालकर ठंडा होने पर शहद या शक्कर मिलाकर सेवन करने से गठिया रोग दूर हो जाता है।
अदरक और पुदीना का काढ़ा देने से पसीना निकलकर बुखार उतर जाता है। शीत ज्वर में भी यह प्रयोग हितकारी है। अदरक और पुदीना वायु तथा कफ प्रकृति वाले के लिए परम हितकारी है।
आंव अर्थात् कच्चा अनपचा अन्न। जब यह लम्बे समय तक पेट में रहता है तो अनेक रोग उत्पन्न होते हैं। सम्पूर्ण पाचन संस्थान ही बिगड़ जाता है। पेट के अनेक रोग पैदा हो जाते हैं। कमर दर्द, सन्धिवात, अपच, नींद न आना, सिरदर्द आदि आंव के कारण होते हैं। ये सब रोग प्रतिदिन दो चम्मच अदरक का रस सुबह खाली पेट सेवन करते रहने से ठीक हो जाते हैं।
अदरक का रस और खड़ी शक्कर मिलाकर पीने से बहुमूत्र रोग की बीमारी नष्ट हो जाती है।
अदरक के 10 मिलीलीटर रस में 50 ग्राम शहद मिलाकर दिन में तीन-चार बार चाटकर खाने से सर्दी-जुकाम से उत्पन्न खांसी नष्ट होती है। चिकित्सकों के अनुसार अस्थमा के कारण उत्पन्न खांसी में भी अदरक से लाभ होता है।
पांच ग्राम अदरक के रस में पांच ग्राम शहद मिलाकर चाटकर खाने से बेचैनी और गर्मी नष्ट होती है।
प्रतिदिन सुबह-शाम 5 से 10 मिलीलीटर अदरक का रस पानी में मिलाकर पीने से जलोदर रोग में बहुत लाभ होता है।
अदरक का रस पुदीने के क्वाथ (काढ़ा) में डालकर पीने से बुखार में राहत मिलती है।
अदरक को पीसकर संधिशोथ (जोड़ों की सूजन) पर लेप करने से सूजन और दर्द जल्द ही ठीक होते हैं।
वायु विकार के कारण अंडकोष की वृद्धि होने पर अदरक के पांच ग्राम रस में शहद मिलाकर तीन-चार सप्ताह प्रतिदिन सेवन करने से बहुत लाभ होता है।
15 ग्राम अदरक, चार बादाम, 8 मुनक्का- इन सभी को पीसकर सुबह-शाम गर्म पानी से सेवन करने से ब्रोंकाइटिस में लाभ मिलता है।
अदरक और प्याज का रस सेंधा नमक के साथ मिलाकर गंजे सिर पर मालिश करें, इससे गंजेपन से राहत मिलती है।
अदरक के टुकडे़ को गंजे सिर पर मालिश करने से बालों के रोग मिट जाते हैं।
साधारण खांसी में अदरक का रस निकालकर उसमें थोड़ा शहद और थोड़ा सा काला नमक मिलाकर चाटने से लाभ मिलता है।
3 ग्राम अदरक या सोंठ, 7 तुलसी के पत्ते, 7 कालीमिर्च, जरा-सी दालचीनी आदि को 250 मिलीलीटर पानी में उबालकर चीनी मिलाकर गर्म-गर्म पीने से इंफ्लुएन्जा, जुकाम, खांसी और सिर में दर्द दूर होता है।
अदरक का रस रोजाना 3 बार 10 दिन तक पियें। खांसी, दमा के लिए यह बहुत उपयोगी होता है। परहेज- खटाई और दही का प्रयोग न करें।
6-6 मिलीलीटर अदरक और तुलसी के पत्तों का रस तथा 6 ग्राम शहद को मिलाकर दिन में 2-3 बार सेवन करने से सूखी खांसी में लाभ मिलता है।
एक-एक चम्मच अदरक और तुलसी का रस शहद के साथ देने ये निमोनिया का रोग दूर होता है।
मसूढ़े में सूजन हो या मसूढ़ों से खून निकल रहा हो तो अदरक का रस निकालकर इसमें नमक मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम मसूढ़ों पर मलें। इससे खून का निकलना बंद हो जाता है।
अदरक का रस 10 मिलीलीटर को थोड़े-से शहद में मिलाकर सुबह पीने से शौच खुलकर आती है।
20-20 ग्राम अदरक, प्याज, लहसुन और नींबू के रस को मिलाकर इनका 2 चम्मच रस 125 मिलीलीटर पानी में मिलाकर इसके अंदर 1 ग्राम मीठा सोड़ा डालकर पीने से उल्टी के रोग में लाभ होता है।
अदरक का रस नाभि पर लगाने से दस्त में राहत मिलती है।
एक चम्मच अदरक के रस को आधा कप उबाले हुऐ पानी में डालकर1 घण्टे के अन्तराल के बाद पीने से पतले दस्त का आना बंद हो जाता है।
अदरक का रस 10 मिलीलीटर,प्याज का रस 10 मिलीलीटर मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से उल्टी और जी का मिचलाना बंद हो जाता है।
10 मिलीलीटर अदरक के रस में 5 ग्राम घी मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से कमर दर्द में लाभ करता है।
अजवायन का चूर्ण 3 ग्राम की मात्रा में गर्म दूध के साथ सेवन करने से रुका हुआ मासिक धर्म नियमित रूप से आना शुरू हो जाता है।
अदरक का रस 10 मिली लीटर में हींग भूनी लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग पीसकर नमक मिलाकर पीने से गुर्दे के रोग दूर हो जाते हैं।
1-3 ग्राम अदरक की पिसी बारीक चूर्ण जल के साथ सेवन से जिगर और प्लीहा के रोग दूर हो जाते हैं।
अदरक का रस, नींबू का रस और सेंधा नमक मिलाकर खाना खाने के पहले और बाद में पीने से अपच मिटती है।
अदरक को छीलकर मटर के बराबर उसका टुकड़ा मुख में रखकर चूसने से कफ(बलगम) आसानी से निकल आता है।
पिसी हुई सोंठ एक ग्राम, जरा-सा हींग और सेंधा नमक को पीसकर चूर्ण बनाकर गर्म पानी के साथ फंकी के रूप में सेवन करने से पेट के दर्द में लाभ होता है।
एक चम्मच सोंठ का बारीक चूर्ण और सेंधा नमक को एक गिलास पानी में गर्म करके पीने से पेट की पीड़ा में लाभ होता है।
अदरक के काटे हुऐ टुकड़ों को देशी घी में सेंककर स्वादानुसार नमक डालकर रोजाना दिन में 2 बार सुबह और शाम से पेट के दर्द में आराम होता है।
लगभग 1 से 3 मिली लीटर अदरक के रस को जल के साथ मिलाकर पीने से तिल्ली की वृद्धि ठीक हो जाती है।
नजले या जुकाम के साथ-साथ अगर लगातार छींके भी आ रही हो तो 3 ग्राम अदरक को 6 ग्राम गुड़ के साथ मिलाकर रात कोसोने से पहले खाने से छींके बंद हो जाती हैं। इसके ऊपर से पानी नहीं पीना चाहिए।
दो चम्मच अदरक का रस गर्म करके उसमें शहद मिलाकर पीने से नजला या जुकाम कम हो जाता है।
अदरक का रस सूंघने से बुखार में होने वाली बेहोशी से राहत मिलती है।
अदरक के रस में थोड़ा-सा जीरा तथा पुराना गुड़ मिलाकर सेवन करने से एलर्जी के रोग में लाभ होता है।
हृदय दुर्बल हो, धड़कन कम हो, दिल बैठता-सा लगे तो सोंठ का गर्म काढ़ा नमक मिलाकर एक प्याला प्रतिदिन पीने से लाभ होता है।
अदरक का रस तथा शहद, दोनों को मिलाकर नित्य उंगली से धीरे-धीरे चाटें। दोनों की मात्रा आधा-आधा चम्मच होनी चाहिए। इससे हृदय रोग में लाभ मिलता है।
अदरक के एक छोटे से टुकड़े को काटकर छील लें और उसकी नोक बना लें। फिर मस्से पर थोड़ा सा चूना लगाकर अदरक की नोक से धीरे-धीरे घिसने से मस्सा बिना किसी आप्रेशन के कट जायेगा और त्वचा पर कोई निशान भी नहीं पडे़गा। बस शुरू में थोड़ी सी सूजन आयेगी।
अदरक का रस, गुड़, सेंधा नमक और पीपल को एक साथ घिस लें और पानी के साथ सूंघने से सिर की सभी बीमारियां ठीक हो जातीहैं।
दूध में सोंठ का काढ़ा मिलाकर, सूंघने से विभिन्न प्रकार के दोशों से उत्पन्न तेज सिर दर्द खत्म हो जाता है।
30 मिलीलीटर अदरक का रस और 15 ग्राम बावची को एक साथ मिलाकर और भिगोकर रख दें। जब अदरक का रस और बावची दोनों सूख जायें तो इन दोनों के बराबर लगभग 45 ग्राम चीनी को मिलाकर पीस लें। अब इसकी एक चम्मच की फंकी को ठंडे पानी से रोजाना 1 बार खाना खाने के एक घंटे के बाद लें सफेद दाग
दूर होता है।
एक चम्मच अदरक का रस, 2 लौंग का चूर्ण और आधी चुटकी हींग को मिलाकर चाटने से गले का हर प्रकार का रोग दूर होता है।
अदरक और परवल के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से श्लेष्म के कारण होने वाला पित्त ठीक हो जाता है।
आधा चम्मच अदरक का रस को चौथाई कप गर्म पानी में मिलाकर आधे-आधे घंटे में चार बार पीने से सर्दी के कारण या खट्टी चीजों के खाने से बैठा हुआ गला ठीक हो जाता है। अदरक के रस को गले में कुछ समय तक रोकना चाहिए यानी कि रस को कुछ समय तक निगलना नहीं चाहिए। इससे गला साफ हो जाता है।
गर्म पानी में अदरक का रस मिलाकर 21 बार गरारे करने से बैठी हुई आवाज ठीक हो जाती हैं
अदरक के रस में शहद मिलाकर चाटने से गले की घरघराहट (आवाज में खराबी) दूर हो जाती है।
अदरक के अंदर छेद करके उसमें थोड़ी सी हींग और नमक भरकर उस अदरक को कपड़े में लपेटकर उसके ऊपर मिट्टी लगा दें और आग में रख दें। जब अदरक पक जाये और खुशबू आने लगे तब आग से निकालकर कपड़े को उतारकर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में अदरक को खाने से गला खुल जायेगा और आवाज भी साफ हो जायेगी।
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