> चोबचीनी | Chobchini se upchar | Chobchini ka swad

चोबचीनी | Chobchini se upchar | Chobchini ka swad

चोबचीनी | Chobchini se upchar | Chobchini ka swad

चोबचीनी का रंग : चोबचीनी गुलाबी रंग का होता है।

चोबचीनी का स्वाद : इसका स्वाद कड़वा और तेज होता है।

चोबचीनी | Chobchini se upchar | Chobchini ka swad
चोबचिनी

चोबचीनी का स्वरूप : चोबचीनी के पत्ते असगंध के पत्तों के समान होते हैं। यह गांठदार होती है। इसका रंग कुछ पीला सफेद और पकने पर लाल हो जाता है।

चोबचीनी का स्वभाव : इसकी प्रकृति गर्म होती है।

चोबचीनी का हानिकारक प्रभाव : चोबचीनी का अधिक मात्रा में उपयोग गर्म स्वभाव वालों के लिए हानिकारक होता है।

चोबचीनी के दोषों को दूर करने वाला : अनार, चोबचीनी के दोषों को दूर करता है।

चोबचीनी की तुलना : चोबचीनी की तुलना उशवा से की जा सकती है।

चोबचीनी की मात्रा : 6 ग्राम से 9 ग्राम।

चोबचीनी के गुण : चोबचीनी ताकत को बढ़ाती है। खून को साफ करती है। शरीर की गर्मी को स्थाई बनाती है। फालिज लकवा और दिमागी बीमारी के लिए बहुत लाभकारी है। गर्भाशय और गुदा बीमारियों में लाभदायक है। पेशाब और मासिक धर्म को जारी रखता है। उपदंश (गर्मी), कोढ़ और खुजली के लिए अत्यंत लाभकारी है। चोब चीनी गर्मी और कोढ़ की अनुभूत औषधि है। इसके सेवन करने वाले मनुष्य को खटाई, नानवेज और मिर्च बिल्कुल ही छोड़ देना चाहिए।

चोबचीनी का विभिन्न रोगों में उपयोग :

  1. श्वास या दमे का रोग:

100 ग्राम चोबचीनी लेकर 800 मिलीलीटर पानी में डालकर आग पर चढ़ा देते हैं। जब 300 मिलीलीटर पानी शेष रह जाए तो उसे उतार लेते हैं। इसे ठण्डा करके छान लेते हैं। 25 ग्राम से 75 ग्राम तक यह काढ़ा रोजाना 3-4 बार पीने से श्वास रोग (दमा) ठीक हो जाता है।

  1. एड्स:

40 मिलीलीटर बड़ी चोबचीनी की जड़ का काढ़ा सुबह-शाम सेवन करने से रतिजन्य उपसर्गी (जो संभोग से पैदा हुआ हो) से उत्पन्न फोड़े-फुंसी आदि रोग दूर होते हैं।

  1. वीर्यरोग:

चोबचीनी, सोंठ, मोचरस, दोनों मूसली, कालीमिर्च, वायविडंग तथा सौंफ को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बनायें। बाद में 10 ग्राम की मात्रा में रोज खाकर ऊपर से मिश्री मिला दूध पी लें इससे वीर्य साफ होता है।

  1. उपदंश (सिफलिस):

चोबचीनी का चूर्ण 3 से 6 ग्राम सुबह-शाम लेने से उपदंश में लाभ होता है।

उपदंश का जहर अगर ज्यादा फैल गया हो तो चोबचीनी का काढ़ा या फांट शहद मिलाकर पीना चाहिए।

  1. गठिया रोग:

चोबचीनी को दूध में उबालकर 3 से 6 ग्राम मस्तंगी, इलायची और दालचीनी को मिलाकर सुबह-शाम रोगी को देने से गठिया के दर्द में आराम मिलता है।

चोबचीनी और गावजबान को मिलाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े से घुटनों पर मिलाकर मालिश करने से दर्द व हड्डियों की कमजोरी खत्म हो जाती है।

  1. कूल्हे से पैर तक का दर्द:

60 ग्राम चोबचीनी को मोटा-मोटा पीसकर रख लें। 200 मिलीलीटर पानी में 6 ग्राम चोबचीनी को रात में भिगोकर रख लें। सुबह उस चोबचीनी को आधा पानी खत्म होने तक उबालें और थोड़ा ठण्डा हो जाने पर पी लें। इससे कुल्हे से पैर तक का दर्द दूर होता है।

  1. शरीर का सुन्न पड़ जाना:

5 ग्राम चोबचीनी, 5 ग्राम पीपलमूल और 4 ग्राम मक्खन को मिलाकर दूध के साथ सेवन करें। इससे अंगों की सुन्नता मिट जाती है।

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