जो लोग हमेशा के लिए अपने स्वास्थ्य को अच्छा रखना चाहते हैं, उन लोगों को सप्ताह में 1 दिन रविवार को, हर महीने की दोनो एकादशियों को तथा साल में 8, 10 या 15 दिनों का पूर्णोपवास करना चाहिए। ऐसा करने से बहुत लाभ होता है। जिन लोगों की सेहत अच्छी होती है, वे लोग उपवास को 7 दिन तक बिना किसी डर के कर सकते हैं और लाभ प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे लोगों को शुरुआत में 2-3 दिनों का उपवास करके उसके कुछ समय के बाद 7 दिनों का या उससे ज्यादा दिनों का उपवास करना चाहिए।
उपवास के फायदे |
पूर्णोपवास के लिए तैयारी-
उपवास करने के लिए किसी खास तरह की तैयारी करने की जरूरत नहीं होती, क्योंकि जिस तरह किसी व्यक्ति को भूख लगने पर उसे किसी तरह की तैयारी नहीं करनी पड़ती, उसी तरह कोई सा भी रोग चाहे शारीरिक हो या मानसिक उसको दूर करने के लिए किसी भी प्रकार के विचार-विमर्श की जरूरत नहीं होती। बस इतना जरूर होता है कि उपवास रखने की शुरुआत में मानसिक प्रवृति को थोड़ा शांत और भटकने से रोकने की जरूरत होती है।लंबे उपवास को शुरू करने से पहले अगर कुछ समय तक सिर्फ प्राकृतिक भोजन पर ही रहकर स्नान,कटि स्नान तथा थोड़े बहुत व्यायाम आदि कर लिए जाने के बाद उपवास शुरू किया जाए तो इससे अच्छे लाभ होने के आसार पैदा हो जाते हैं।
उपवास रखने से पहले यह भी जरूरी है कि उपवास रखने वाला व्यक्ति उपवास के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी प्राप्त कर ले। इससे उस व्यक्ति को उपवास के दौरान ताकत और मन को काबू में रखने की शक्ति प्राप्त होगी। जिससे उपवास करने वाले व्यक्ति का मन डगमगाएगा नहीं। लंबे उपवासों को शुरू करने से पहले व्यक्ति को अपने दिल और नाड़ी की जांच जरूर करा लेनी चाहिए। जो पुराने रोगी होते हैं उन्हें लंबे उपवास शुरू करने से पहले अपने रोजाना करने वाले भोजन में थोड़ा बहुत बदलाव कर देना चाहिए। इसके बाद धीरे-धीरे लंबे उपवास रखें जैसे पहले उपवास में सिर्फ सुबह का ही भोजन छोड़ दें और सिर्फ शाम को ही भोजन खाएं। फिर 2-3 दिन के बाद अन्न खाना बिल्कुल बंद करके सिर्फ फल पर ही रहें। फिर 2-3 दिन तक सिर्फ फलों को खाने के बाद पूरे दिन का उपवास शुरू कर दें। ऐसा करने से उपवास के दौरान व्यक्ति को किसी तरह की परेशानी सामने नहीं आएगी।
पूर्णोपवास के समय में-जब तक किसी भी व्यक्ति का पूर्णोपवास चलता रहे तब तक निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना जरूरी है-
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पानी पीना-उपवास के दौरान किसी भी तरह का भोजन नहीं खाना चाहिए, लेकिन ताजा और साफ पानी जरूर पीना चाहिए। पूरे दिन में कम से कम 8 से 10 लीटर पानी पिया जा सकता है। पानी को थोड़ा-थोड़ा करके कई बार में पिया जा सकता है। अगर मन करता है तो पानी में कागजी नींबू को मिलाकर भी पिया जा सकता है। ऐसा करने से शरीर की सफाई अच्छी तरह से हो जाती है। उपवास के दौरान पानी न पीने से शरीर को नुकसान होने की आशंका रहती है। इसलिए उस समय शरीर को पूरी मात्रा में नियमित रूप से पानी मिलना चाहिए नहीं तो शरीर में पानी की कमी होने के कारण आंतें भी सूख सकतीहैं और रक्तप्रवाह में भी रुकावट पैदा हो सकती है। इसके अलावा उपवास के दौरान पानी कम पीने या न पीने से शरीर के अन्दर गर्मी भी बढ़ सकती है। जिससे उपवास करने वाले व्यक्ति को परेशानी हो सकती है।
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एनिमा- उपवास काल के दौरान जितना पानी पीना जरूरी है उतना ही जरूरी एनिमा लेना भी है। उपवास के दौरान एक तरह से आंतें अपना काम बंद कर देती हैं, इसलिए उन्हें दूसरे तरीके से रोजाना साफ करते रहना भी जरूरी है।बहुत से लोगों की सोच होती है कि जब उपवास करते हैं तब खाना तो खाया नहीं जाता तो शौच क्रिया कहां से होगी? क्योंकि पहला तो आतें कभी भी मल से खाली नहीं होती, दूसरे भोजन न करने पर आंतों में जो स्वाभाविक क्रिया होती रहती है उसके नतीजतन पैदा होने वाले मल को साफ करने की जरूरत तो पड़ेगी ही। इसलिए उपवास के दौरान रोजाना कम से कम से कम एक बार एनिमा क्रिया के द्वारा आंतों को साफ रखना भी जरूरी है। एनिमा लेने का पानी हल्का गर्म होना चाहिए। वैसे तो ठंडे पानी का एनिमा भी लिया जा सकता है। एनिमा के पानी में थोड़ी सी बूंदे कागजी नींबू के रस की भी मिलाने से पेट की अच्छी सफाई हो जाती है।
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स्नान- उपवास रखने के दिनों में रोजाना ठंडे पानी से नहाना जरूरी है। अगर रोजाना दूसरे दिन एक उदरस्नान या मेहर स्नान कर लिया जाए तो बहुत अच्छा होता है।उपवास काल में त्वचा को साफ, स्वस्थ और सतेज रखना भी बहुत जरूरी है। इसलिए इन दिनों में कभी-कभी पूरे दिन शरीर पर गीली मिट्टी की पट्टी रखना भी बहुत उपयोगी होता है। अगर उपवास लंबा होने के कारण व्यक्ति रोजाना स्नान नहीं कर सकता तो उसे कम से कम रोजाना गर्म पानी में किसी तौलिए को भिगोकर और निचोड़कर अपने पूरे शरीर को अच्छी तरह से रगड़कर पोंछना चाहिए।
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व्यायाम- बहुत से लोग उपवास के दौरान सारे कामों को पीछे छोड़कर आराम करने के मूड में रहते हैं, लेकिन यह बात बिल्कुल सही नहीं है। उपवास करने पर भी अपनी ताकत के अनुसार कोई न कोई काम करते रहना जरूरी होता है। पुराने रोगों में अच्छा स्वास्थ्य पाने के लिए उपवास रखने पर भी अपना छोटा-मोटा काम तो करते रहना ही चाहिए और ऊपर से व्यायाम आदि भी करते रहना चाहिए। अगर इतना कुछ न किया जाए तो कम से कम टहलने तो जा ही सकते हैं। बस एक बात का ध्यान रखना जरूरी है कि उपवास काल में शरीर थकने न पाए, क्योंकि शरीर में से ज्यादा ताकत कम हो जाने पर की हुई मेहनत से शरीर को फायदे के स्थान पर नुकसान ज्यादा पहुंचाता है। ऐसे व्यक्तियों को भी घूमने-फिरने, चलने-फिरने तथा हल्के-फुल्के व्यायाम आदि करने से कभी भी भागना नही चाहिए। उपवास रखने के दौरान अगर उपवास करने वाला व्यक्ति एक बार लेट गया और उठ ना पाए तो उसको बिस्तर पर पड़े-पड़े ही अपने शरीर के हर अंग में हरकत करके व्यायाम आदि कर लेना चाहिए।एक बात जाननी जरूरी है कि जो व्यक्ति शरीर से दुबले-पतले होते हैं या उनमें कमजोरी ज्यादा होती है, उपवास के दौरान सिर्फ उन्हीं को चारपाई पर पड़े रहना जरूरी है।
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आराम- उपवास रखने के दौरान उपवास रखने वाले व्यक्ति को व्यायाम करने के साथ ही पूरा आराम करने की भी जरूरत होती है। जो व्यक्ति बहुत ज्यादा कमजोर होते हैं उनको तो कभी-कभी पूरे दिन आराम करना जरूरी हो जाता है। उपवास के दिनों में शरीर को जितना ज्यादा आराम दिया जाए, अगर उपवास के बाद भी उसे उतना ही आराम दिया जाए तो उपवास से किसी तरह की हानि नहीं हो सकती। उपवास में अगर व्यक्ति पूरी नींद सो सके तो अच्छा रहता है।
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मानसिक स्थिति- उपवास के दौरान एक बात का ध्यान रखना खासतौर पर जरूरी है कि उपवास करने वाले व्यक्ति की मानसिक स्थिति शांत और एक जगह स्थिर रहे। इसके लिए सबसे जरूरी है कि उपवास करने वाले व्यक्ति को उपवास काल में अपने मन को शांत करने के लिए भगवान की भक्ति में मन को लगाना चाहिए। वैसे भी किसी महान पुरुष ने यह कहा है कि अगर शरीर के उपवास के साथ-साथ मन का उपवास न रखा जाए तो वह किसी तरह से व्यक्ति के लिए लाभकारी नहीं हो सकता। इसलिए उपवास रखने पर हमेशा खुश, तनाव रहित रहना चाहिए।
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उपचार- उपवास करने के दौरान किसी भी तरह की औषधियां नहीं लेनी चाहिए क्योंकिये शरीर को नुकसान पहुंचा सकती हैं क्योंकि इस उपवास के समय तथा उसके बाद काफी दिनों तक शरीर बहुत ही नाजुक अवस्था में रहता है। उपवास काल में किसी रोग के होने पर सीधे ही प्राकृतिक उपचारों का सहारा लेना चाहिए। यह उपचार पेड़ू पर गीलीमिट्टी की पट्टी रखने से, उदर स्नान करने से, तथा कपड़े की ठंडी पट्टी आदि रखने से होते हैं। उपवास करने वाले व्यक्ति को पूरी तरह खुली हवा में रहना और सोना चाहिए। सुबह के समय कपड़े उतारकर कुछ देर तक धूप में बैठना चाहिए। उपवास के दौरान व्यक्ति का शरीर का तापमान कम करने पर या शरीर के अलग-अलग भागों में रक्तसंचार की क्रिया बढ़ाने के लिए प्राकृतिक मालिश की क्रिया सबसे अच्छी रहती है ।
पूर्णोपवास को कब और कैसे तोड़ा जाए?
यह बात तो सभी अच्छी तरह जानते होंगे कि उपवास रखने के साथ ही उपवास को तोड़ने में भी बहुत सावधानी और आत्मसंयम की जरूरत होती है। उपवास काल के दौरान पाचनशक्ति बहुत ज्यादा कमजोर हो जाती है। इसलिए उपवास को तोड़ते समय बहुत ही हल्का भोजन खाना चाहिए। उसके बाद पाचनशक्ति जैसे-जैसे बढ़ने लगे, वैसे ही भोजन की मात्रा भी थोड़ी-थोड़ी करके बढ़ाते रहनी चाहिए। इस तरह उपवास को सही तरीके से तोड़कर उपवास रखने वाला व्यक्ति न सिर्फ शारीरिक परिवर्तन होने के खतरे से बच सकता है बल्कि उपवास का पूरा-पूरा लाभ भी उसको मिल सकता है।
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कोई भी व्यक्ति जब उपवास रखता है तब यह बात कोई ठीक तरह से नहीं बता सकता कि उसे कितनों दिनों तक उपवास रखना है और उपवास तोड़ना है। इस बात का पता तो हमको उपवास के अंत में उपवास करने वाले की प्रकृति द्वारा ही मिलता है, अर्थात उपवास के समाप्ति में जब व्यक्ति को निम्नांकित महसूस होने लग जाए, तभी व्यक्ति को समझना चाहिए कि उसका उपवास पूरा हो गया और उसे समाप्त करने का समय आ गया है।
1-जब व्यक्ति को अपने आप ही बहुत तेज भूख लगने लगे तब समझना चाहिए कि उपवास को तोड़ने का समय आ गया है।
2-उपवास के दौरान उपवास करने वाले व्यक्ति की जीभ पर जो सफेद मैल जम जाता है जब वह साफ हो जाए तो समझिए कि उपवास को समाप्त करने का समय आ गया है।
3-जब लेने वाली सांस मीठी-मीठी सी महसूस होने लगे।
4-नाड़ी की रफ्तार जब बिल्कुल ठीक तरह से चलने लगे।
5-शरीर में खून का प्रवाह सही तरह से चलने के कारण जब त्वचा मुलायम और लचीली हो जाए।
6-शरीर का तापमान बिल्कुल सामान्य हो जाए।
7-जब व्यक्ति का शरीर बिल्कुल ही हल्का-फुल्का सा लगने लगे उसके अंदर नई तरह की चुस्ती-फर्ती लगने लगे।
पूर्णोपवास के बाद-
कोई भी व्यक्ति जब उपवास करता है तो उसे उपवास की समाप्ति के बाद बड़ी ही तेज भूख लगती है, लेकिन उस वक्त व्यक्ति को बड़े ही सब्र से काम लेना चाहिए और ज्यादा नहीं खाना चाहिए। भोजन के हर ग्रास को अच्छी तरह धीरे-धीरे चबाकर खाने से तथा जीभ को अपने काबू में रखने से भूख पर काबू पाया जा सकता है। उपवास के बाद ऐसा भोजन नहीं खाना चाहिए कि जिससे शरीर को रोगी होने का खतरा हो बल्कि प्राकृतिक और सादा भोजन खाना चाहिए। अगर कोई भी व्यक्ति चाहे तो प्रकृति की मदद से अच्छे स्वास्थ्य का लाभ उठा सकता है। अगर उपवास, उपवास के नियमों के मुताबिक ठीक तरीके से किया जाए तो किसी भी मोटे व्यक्ति का वजन रोजाना लगभग 1 पौंड के बराबर कम होगा और उपवास तोड़ने के बाद वजन बढ़ने की औसत उससे आधी ही होगी।
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